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आर्थिक नियोजन (Economic Planning); विशेषताएँ, उद्देश्य, आवश्यकता, महत्त्व..

आर्थिक नियोजन

“आर्थिक नियोजन राष्ट्रीय सरकार की रीति-नीति से सम्बन्धित वह कार्यक्रम है, जिसमें बाजार शक्तियों के कार्य-कलापों में राज्य द्वारा हस्तक्षेप प्रणाली को सामाजिक प्रक्रिया के ऊपर ले जाने हेतु लागू किया जाता है।” –गुनार मिर्डल

आर्थिक नियोजन (Economic Planning)

द्वितीय विश्व युद्ध एवं स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद भारत की आर्थिक स्थिति अत्यधिक बिगड़ चुकी थी और सरकार के सामने अनेक समस्याएँ एवं कठिनाइयाँ मुँह खोले खड़ी थी। इन समस्याओं के समाधान हेतु 1950 ई० में भारत में योजना आयोग की स्थापना की गई। ‘योजना आयोग द्वारा आर्थिक नियोजन की एक ऐसी विवेकपूर्ण व्यवस्था अपनाई गई, जिसका उद्देश्य ‘न्यायपूर्ण आर्थिक विकास’ एवं ‘अधिकतम सामाजिक कल्याण’ के लक्ष्य को प्राप्त करना था।

आर्थिक नियोजन एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था है जिसके अन्तर्गत कुछ आर्थिक उद्देश्य निर्धारित किये जाते हैं तथा उन आर्थिक उद्देश्यों को एक निश्चित अवधि में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के द्वारा प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है।

Economic Planning Definition

प्रो० एच० डिकिन्सन के अनुसार, आर्थिक नियोजन का अभिप्राय महत्त्वपूर्ण आर्थिक निर्णय लेना है। एक सुनिश्चित सत्ता के विचारयुक्त निर्णय के अनुसार और सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के विस्तृत सर्वेक्षण के आधार पर यह निश्चित किया जाता है कि क्या और कितना उत्पादन किया जाए और उसका वितरण किसको किया जाए।

योजना आयोग के अनुसार, “आर्थिक नियोजन साधनों के संगठन की एक विधि है, जिसके माध्यम से प्राकृतिक साधनों का अधिकतम लाभप्रद उपयोग सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है।”

आर्थिक नियोजन (Economic Planning); विशेषताएँ, उद्देश्य, आवश्यकता, महत्त्व..

आर्थिक नियोजन (Economic Planning); विशेषताएँ, उद्देश्य, आवश्यकता, महत्त्व..

विशेषताएँ (Economic Planning Features)

आर्थिक नियोजन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. निश्चित उद्देश्य के लिए- आर्थिक नियोजन की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह सदैव विचारयुक्त होता है तथा इसका एक निश्चित उद्देश्य होता है। ये उद्देश्य भिन्न-भिन्न हो सकते हैं; जैसे-आर्थिक विकास की गति तीव्र करना या पूर्ण रोजगार की स्थिति प्राप्त करना आदि।
  2. केन्द्रीय नियोजन सत्ता– नियोजन के लिए यह आवश्यक है कि देश में एक केन्द्रीय सत्ता हो, जो नियोजन का कार्य करे। भारत में योजना आयोग इस कार्य को करता है।
  3. सम्पूर्ण नियोजन- नियोजन सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का होता है। यह केवल कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए अर्थात् नियोजन आंशिक नहीं होना चाहिए।
  4. साधनों का विवेकपूर्ण विभाजन– आर्थिक नियोजन के अन्तर्गत देश के सीमित साधनों का विवेकपूर्ण बँटवारा इस ढंग से किया जाता है, जिससे सामाजिक कल्याण अधिकतम किया जा सके।
  5. नियोजन उत्पादन तक ही सीमित नहीं- एक नियोजित अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साथ-साथ वितरण का भी नियोजन किया जाता है। नियोजन जहाँ इस बात को निश्चित करता है कि क्या और कितना उत्पन्न किया जाए, वहाँ वह इस बात को भी निश्चित करता है कि बँटवारा किन लोगों के बीच किया जाए।
  6. नियन्त्रण आवश्यक- अपने उद्देश्यों एवं लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में नियन्त्रण लगाये जाते हैं।
  7. जनसहयोग आवश्यक- आर्थिक नियोजन की सफलता के लिए जनता का सहयोग आवश्यक होता है। बिना जनता के सहयोग के आर्थिक नियोजन की प्रक्रिया सफल नहीं हो सकती।
  8. दीर्घकालीन प्रक्रिया- आर्थिक नियोजन एक दीर्घकालीन प्रक्रिया यह तभी सफल होती है, जबकि इसका आयोजन सतत व लम्बे समय के लिए किया जाए।

उद्देश्य (Economic Planning Objectives)

नियोजन का शाब्दिक अर्थ ‘पहले से आयोजन’ करना है। यह एक ऐसी विवेकपूर्ण व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य किसी न्यायपूर्ण आर्थिक विकास’ एवं ‘अधिकतम सामाजिक कल्याण के लक्ष्य को प्राप्त करना है। आर्थिक नियोजन को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया जाता है-

आर्थिक नियोजन से आशय पूर्व-निर्धारित और निश्चित सामाजिक और आर्थिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु अर्थव्यवस्था के सभी अंगो को एकीकृत और समन्वित करते हुए राष्ट्र के संसाधनों के सम्बन्ध में सोच-विचारकर रूपरेखा तैयार करने और केन्द्रीय नियन्त्रण से है।

भारत में आर्थिक नियोजन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है-

  1. राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में दीर्घकालीन वृद्धि।
  2. निर्धनता के दुश्चक्र की समाप्ति (गरीबी हटाओ)।
  3. देश को आत्मनिर्भर बनाना।
  4. प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों का उचित दोहन।
  5. देश का योजनाबद्ध एवं सन्तुलित आर्थिक विकास।
  6. देश में रोजगार के अवसरों का विस्तार।
  7. सामाजिक एवं आर्थिक आधारिक संरचना का निर्माण।
  8. शिक्षा, प्रशिक्षण एवं तकनीक के उच्च स्तर को प्राप्ति।
  9. संविधान के नीति-निदेशक सिद्धान्तों का क्रियान्वयन।
  10. समाजवादी ढंग से लोकतान्त्रिक समाज की स्थापना।

आवश्यकता(Economic planning needs)

भारत एक विकासशील देश है जो शताब्दियों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहने के कारण आर्थिक शोषण का शिकार रहा। भारत में आर्थिक नियोजन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है-

  1. आर्थिक संसाधनों के उचित प्रयोग के लिए-  भारत में आर्थिक संसाधन प्रचुर मात्रा में है, किन्तु उनका अभी तक सदुपयोग नहीं हुआ है। आर्थिक नियोजन का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि हमारे प्राकृतिक (आर्थिक) संसाधनों का विवेकपूर्ण तथा इष्टतम उपयोग हो सकेगा।
  2. राष्ट्रीय आय में वृद्धि के लिए- भारत एक जनसंकुल देश है। प्रति व्यक्ति आय की दृष्टि से यह विश्व के निर्धन देशों में गिना जाता है। राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिए आर्थिक नियोजन को बहुत आवश्यकता है।
  3. धन के समान वितरण के लिए- भारत में राष्ट्रीय आय के वितरण में प्रादेशिक विषमताएँ अधिक है। नियोजित विकास से धन का न्यायपूर्ण तथा समान वितरण सम्भव है। समाजवादी नियोजन आर्थिक समानता के सिद्धान्त को आधार मानता है।
  4. आत्मनिर्भरता के लिए- यद्यपि विश्व का कोई भी देश पूर्णत: आत्मनिर्भर नहीं है, तथापि भारत आत्मनिर्भर बनने के लिए चेष्टारत है। यह कार्य आर्थिक नियोजन द्वारा ही सम्भव है।

महत्त्व(Economic Planning Importance)

आर्थिक क्षेत्र में नियोजन का वही महत्त्व है, जो आध्यात्मिक क्षेत्र में ईश्वर का है।  –टी० टी० कृष्णामाचारी 

भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक नियोजन का अत्यधिक महत्त्व है। आर्थिक नियोजन के महत्त्व को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. उपलब्ध सीमित संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया जाता है।
  2. अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा योजनाबद्ध आर्थिक विकास के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध हो जाती है।
  3. स्वतन्त्रता से पूर्व युद्धकालीन जर्जरित अर्थव्यवस्था का स्वतन्त्रता के पश्चात् पुनरुत्थान सम्भव हुआ।
  4. आर्थिक नियोजन के द्वारा आर्थिक विकास की गति को तीव्र किया जा सकता है।
  5. आर्थिक नियोजन के द्वारा पूँजी-निर्माण को दर में वृद्धि होगी, विनियोग में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था को गरीबी के दुश्चक्र से बाहर निकाला जा सकेगा।
  6. भारत में बेरोजगारी एवं अर्द्ध-बेरोजगारी की व्यापक समस्या विद्यमान है। आर्थिक नियोजन के द्वारा ही इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
  7. नियोजन आर्थिक एवं सामाजिक आधारिक संरचना (सड़क, रेल, बिजलीघर, शिक्षा एवं चिकित्सालय संस्थान आदि) का निर्माण जो निजी विनियोगों को प्रोत्साहन प्रदान करता है, में सहायक है।
  8. नियोजन द्वारा उत्पादन तकनीक में परिवर्तन की गति को तीव्र किया जा सकता है। इस प्रकार आर्थिक नियोजन देश के आर्थिक विकास में सहायक है।

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