जेनेवा संधि (Geneva Convention) जिसे सामान्य तौर पर जिनेवा संधि के रूप में जाना जाता है, इसमें चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल शामिल है। पहली बार वर्ष 1864 दुनिया के कुछ देशों ने युद्धबंदियों के अधिकारों को लेकर एक करार किया। इस संधि को मानवता के लिए जरूरी कदम बताया गया। इसके बाद वर्ष 1906 और वर्ष 1929 में क्रमश: दूसरी और तीसरी संघि हुई। दूसरे विश्‍व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने जेनेवा संधि पर हस्‍ताक्षर किए। यह चौ‍थी संधि थी। इस तरह से जेनेवा समझौते में अब तक चार स‍ंधियां और तीन मसौदे शामिल है।
जेनेवा संधि

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जिनेवा संधि का उद्देश्य युद्ध के समय मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए अंत​रराष्ट्रीय कानून के मानक तैयार करना है। वर्तमान में जो​ जिनेवा संधि ​अस्तित्व में है, वह दूसरे विश्व ​युद्ध के बाद 1949 में स्थापित की गई थी। इस संधि में 196 देश शामिल हैं। युद्धबंदियों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए जिनेवा संधि में कई नियम दिये गए हैं। इसके अनुच्छेद 3 के मुताबिक युद्ध के दौरान घायल होने वाले युद्धबंदी का अच्छे तरीके से उपचार होना चाहिए।

वर्ष 1859 में इटली और फ्रांस तथा आॅस्ट्रिया के बीच हुए सोलफेरिना युद्ध के दौरान एक स्विस कारोबारी हेनरी डयूनांट घायल सैनिकों की दशा देखकर बहुत आहत हुए थे। उन्होंने युद्ध की विभाषिका पर एक किताब लिखी, मेमोरी आॅफ सोलफेरिनो, जो कि आगे चलकर रेड क्रॉस की स्थापना का आधार बनी। इसी पृस्ठभूमि में 22 अगस्त, 1864 को पहले जिनेवा संधि का जन्म हुआ। हेनरी को उनके इस योगदान के लिए वर्ष 1901 में शांति के पहले नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
हाइलाइट्स

  • पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमान को मार गिराने वाले विंग कमांडर अभिननंदन कथित तौर पर उसके कब्जे में
  • पाकिस्तान के F-16 विमानों ने भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले की कोशिश की थी, वायुसेना ने किया नाकाम
  • अभिनंदन वर्तमान को पाकिस्तान को छोड़ना ही होगा, जिनीवा कन्वेंशन के तहत उन्हें छोड़ना उसकी मजबूरी
  • 1999 में करगिल संघर्ष के वक्त भारतीय पायलट नचिकेता को 8 दिनों बाद पाकिस्तान को छोड़ना ही पड़ा था

कब बनाई गई ‘जिनेवा संधि’

दरअसल, 1965 और 1971 के युद्ध में पाकिस्तान ने भारत के कई सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया था। उस समय कुछ लोगों के साथ पाकिस्तान का व्यवहार बहुत अच्छा रहा, तो कुछ लोगों के साथ बहुत खराब।

साल 1971 में भारत ने पाकिस्तान के 90 हज़ार से अधिक सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया गया था। इन सभी बंदियों की सुरक्षा से लेकर सभी तरह की सुविधाएं भारत की तरफ से उपलब्ध कराई गई थीं।

इसके साथ ही युद्ध के बाद शांति स्थापित होने पर दोनों देशों के बीच युद्ध बंदियों का आदान-प्रदान होता है, जिसके तहत भारत की ओर से भी कई सैनिक पाकिस्तान को वापस भेजे गए हैं।

बता दें कि यह संधि कहती है कि एक देश को युद्ध के दौरान हिरासत में लिए गए दुश्मन देश के सैनिक के साथ कोई भी ऐसा कृत्य नहीं करना चाहिए जिससे उसकी मौत हो सकती है या उसे नुकसान पहुंच सकता है।

जेनेवा संधि से जुड़ी मुख्य बातें (Geneva Convention Rules)

खास बातें

– इस संधि के तहत घायल सैनिक की उचित देखरेख की जाती है।
– संधि के तहत उन्हें खाना पीना और जरूरत की सभी चीजें दी जाती है।
– सैनिकों को कानूनी सुविधा भी मुहैया करायी जाती है।
– इस संधि के मुताबिक किसी भी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता।
– किसी देश का सैनिक जैसे ही पकड़ा जाता है उस पर ये संधि लागू होती है। (फिर चाहे वह स्‍त्री हो या पुरुष)
– संधि के मुताबिक युद्धबंदी को डराया-धमकाया नहीं जा सकता।
– संधि के मुताबिक युद्धबंदियों (POW) पर मुकदमा चलाया जा सकता है। इसके अलावा युद्ध के बाद युद्धबंदियों को वापस लैटाना होता है।
– युद्धबंदी की जाति, धर्म, जन्‍म आदि बातों के बारे में नहीं पूछा जाता।
– युद्धबंदी से सिर्फ उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में पूछा जा सकता है।

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