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पी. एल.- 480 समझौता (1954),P.L.- 480– इतिहास के नोट्स हिंदी में

पी. एल.- 480 समझौता
पी. एल.- 480 समझौता

पी. एल.- 480 समझौता (1954),P.L.- 480– इतिहास के नोट्स हिंदी में

पी. एल.- 480 समझौता (1954),P.L.- 480-Hello Friends, wikimeinpedia.com पर आपका स्वागत है,दोस्तों जैसा की आप जानते है की wikimeinpedia.com आप सब छात्रों के लिए प्रत्येक दिन प्रतियोगिता परीक्षा सम्बंधित Study Material उपलब्ध करवाता है. आज हम students के लिए पी. एल.- 480 समझौता (1954),P.L.- 480 पब्लिक ला 480 के notes शेयर कर  रहे है. यह आगामी परीक्षाओ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है| इस टॉपिक से सभी परीक्षाओ मे अवश्य ही कुछ न कुछ पूछा ही जाता है|

 

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पी. एल.- 480 समझौता (1954),P.L.- 480,पब्लिक ला 480

1959 में अमेरिकी राष्ट्रपति आइजनहावर ने अपनी भारत यात्रा से प्रभावित होकर लौटने के बाद मई 1960 में दोनों देशों के बीच 4 वर्ष की अवधि के लिए पी.एल.480 नामक एक समझौता हुआ। इस समझौते के तहत अमेरिका ने भारत को पर्याप्त मात्रा में खाद्यान भेजने का आश्वासन दिया।

पी.एल.480 का आशय – पब्लिक ला 480 था। यह भारत एवं अमेरिका के बीच खाद्यान आपूर्ति समझौता था।

10 जुलाई 1954 को कृषि व्यापार विकास सहायता अधिनियम (पी.एल.480) पर हस्ताक्षर अमरिकी राष्ट्रपति वाइट डी.आइजनहावर ने किये थे।

1961 में राष्ट्रपति जॉन.एफ.केनेडी ने इसे फूड फॉर पीस नाम दिया। इस समझौते का संचालन यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट(USAID) द्वारा संचालित किया गया।

7 दिसंबर, 1964 में लाल बहादुर शास्त्री के समय भारत और अमेरिका के बीच नई दिल्ली में एक समझौता हुआ, जिसके तहत अमेरिका ने भारत को तारापुर में परमाणु संयत्र स्थापित करने के लिए 8 करोङ डॉलर दिये तथा इसके लिए ईंधन देने का भी आश्वासन दिया।

1964 में भारत में विकट खाद्यान्न संकट उपस्थित होने पर भी अमेरिका ने पी.एल.480 के तहत भारत को बङी मात्रा में खाद्यानों की आपूर्ति की।

1965 में भारत-पाक युद्ध के समय अमेरिका ने दोनों देशों पर युद्ध बंद न करने तक आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया और 6 जहांजों में भरकर भारत को जो सामग्री भेजी गयी थी।उसे भारतीय तट से केवल 15 किलोमीटर की दूरी से वापस बुला लिया, जबकि पाकिस्तान ने उसके द्वारा दिये गये युद्धास्त्रों का भारत के विरुद्ध प्रयोग किया, परंतु अमेरिका ने इस पर कोई आपत्ति नहीं की।

भारत एवं नेपाल के मध्य परगना-व्यापार समझौता 1961 में हुआ। अमेरिका और भारत के मध्य पहला विवाद चीन को लेकर हुआ। जब भारत ने रिपब्लिक चीन की स्वतंत्रता को मान्यता दे दी थी।

अमेरिका ने 1951 में भारत में चेस्टर बोर्ड को पहले राजदूत के रूप में नियुक्त किया।

1954 में सोवियत-संघ ने भारत को सैनिक सहायता देने का प्रस्ताव रखा, लेकिन भारत ने अस्वीकार कर दिया।

1955 में सोवियत-संघ ने कश्मीर के प्रश्न पर भारत का पूर्ण समर्थन किया और 1956 से उसे सुरक्षा परिषद् में इस प्रश्न पर भारत के पक्ष में ही वीटो का प्रयोग करना आरंभ किया।

1962 में दोनों देशों के बीच एक सैनिक-समझौता हुआ और 1962 के मध्य में भारत को मिग हवाई जहाज के उत्पादन करने की इजाजत देने वाला समझौता किया गया।

1963 में सामान सप्लाई करने के और समझौते किये जैसे- हथियारों की बिक्री, इंटर सेप्टर और हेलीकाप्टर, टैंक, घूमने वाले राडार सेट, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, पनडुब्बियाँ, मिसाइल बोट, पहरा देने वाले जहाज आदि।

P.L.- 480

  • P.L.- 480 का आशय पब्लिक ला- 480 था | यह भारत एवं अमेरिका के बीच खाद्यान्न आपूर्ति समझौता था |
  • 10 जुलाई 1954 ईस्वी को कृषि व्यापार विकास सहायता अधिनियम( P.L.-480) पर हस्ताक्षर अमेरिकी राष्ट्रपति वाइट. डी. आइजनहावर द्वारा किया गया |
  • 1961 में राष्ट्रपति जॉन. एफ. केनेडी ने इसे’ फूड फॉर पीस’ नाम दिया |
  • इस समझौते का संचालन यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट(USAID) द्वारा संचालित किया गया था |

पी एल 480 से राष्ट्रीय खाद्द सुरक्षा कानून 2013

हम में से बहुतों को यह पता भी नहीं होगा कि खाद्दान के विभीषण अभाव के कारण भारत को 1960 के दशक में अमरीका से पी एल 480 ( अमरीकी लोक अधिनियम ) के तहत गेहूं का आयात करना पड़ा था । इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए भारत को अपनी विदेश नीति से समझौता करने के दबाव और अपमान कि कहानियां अब अतीत की बातें हो चुकी हैं । देश पी एल 480 के युग से बहार निकल कर आर्थिक वास्तविकता के एक नये युग कि ओर बढ़ चुका है । अब देश में राष्ट्रय खाद्द सुरक्षा अधिनियम 2013 बन चूका है जो भोजन से वचिंत देश के 67 प्रतिशत लोगों को भोजन कि गारंटी प्रदान करता है । निश्चय ही यह एक बहुत बड़ी छलांग है जिसका प्रभाव बहुआयामी और बहुस्तरीय होने वाला है । लोगों, विशेषकर गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को भोजन उपलब्ध कराने कि गारंटी का उनकी आमदनी पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा ।

वचिंत और निर्धन वर्गों को भरपूर भोजन मिलने से पोषण बेहतर ढंग से हो सकेगा जिससे उनके स्वास्थ्य कि स्थिति में भी सुधार हो सकेगा । यह तर्क दिया जाता है कि बेहतर स्वास्थ्य के कारण अधिक ऊर्जा से काम करने से होने वाली अतिरिक्त आय चिकित्सीय तथा स्वैच्छिक मदों पर व्यव के लिए इस्तेमाल कि जा सकती है अथवा खेती में काम आने वाले उपकरणों अथवा सामग्री पर खर्च कि जा सकेगी । अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे परिवारों के लिए सुनिश्चत खाद्दान्न निश्चय ही उन्हें सम्मान के साथ जीने का अवसर प्रदान करेगा।

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