
प्राचीन भारत । Indian History Gk in Hindi
प्राचीन भारत । Indian History Gk in Hindi नोट्स :- -Hello Friends, wikimeinpedia.com पर आपका स्वागत है,आज के इस पोस्ट मे हम आप लोगो के लिए लेकर आए है प्राचीन भारत । Indian History Gk in Hindi For UPSC PCS इस नोट्स मे आपको विश्व के इतिहास की पूरी जानकारी हिंदी में मिलेगी ! Students ध्यान दे यह Notes UPSC, PCS, SSC, RO/ARO समीक्षा अधिकारी, Railway, SSC, Bank तथा अन्य समस्त प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए महत्वपूर्ण है !
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भारत का इतिहास
प्राचीन भारत । Indian History Gk in Hindi : उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से ज्ञात है, जिसे महाकाव्य तथा पुराणों में भारतवर्ष’ अर्थात् ‘भरत का देश’ तथा यहाँ के निवासियों को भारती अर्थात् भरत की संतान कहा गया है। यूनानियों ने भारत को इंडिया तथा मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने हिन्द अथवा हिन्दुस्तान के नाम से संबोधित किया है।
भारतीय इतिहास को अध्ययन की सुविधा के लिए तीन भागों में बाँटा गया है –
- प्राचीन भारत,
- मध्यकालीन
- भारत एवं आधुनिक भारत।
प्राचीन भारत
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में जानकारी मुख्यतः चार स्रोतों से प्राप्त होती है ।
(1) धर्मग्रंथ (2) ऐतिहासिक ग्रंथ (3) विदेशियों का विवरण (4) पुरातत्त्व संबंधी साक्ष्य ।
>>> वर्मग्रंच एवं ऐतिहासिक पंव से मिलनेवाली महत्त्वपूर्ण जानकारी –
भारत का सर्वप्राचीन धर्मग्रंथ वेद है, जिसके संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास को माना जाता है। वेद चार हैं-ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद ।
ऋग्वेद के बारे में :
– ऋचाओं के क्रमबद्ध ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है।
– इसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त (वालखिल्य पाठ के 11 सूक्तों सहित) एवं 10,462 ऋचाएँ है।
– इस वेद के ऋचाओं के पढ़ने वाले ऋषि को “होत” कहते हैं।
– इस वेद से आर्य के राजनीतिक प्रणाली एवं इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है।
– विश्वामित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है। इसके 9वें मंडल में देवता सोम का उल्लेख है।
– इसके आठवें मंडल की हस्तलिखित “ऋचाओं को खिल” कहा जाता है।
– चातृष्णर्य समाज की कल्पना का आदि स्त्रोत ऋग्वेद के 10वें मंडल में वर्णित पुरुषसूक्त है, जिसके अनुसार चार वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शुद्र) आदि पुरुष ब्रह्मा के क्रमशः मुख, भुजाओं, जंधाओं और चरणों से उत्पन्न हुए।
नोटः धर्मसूत्र चार प्रमुख जातियों की स्थितियों, व्यवसायों, दायित्वों, कर्तव्यों तथा विशेषाधिकारों में स्पष्ट विभेद करता है।
– वामनावतार के तीन पगों के आख्यान का प्राचीनतम स्त्रोत ऋग्वेद है।
– ऋग्वेद में इन्द्र के लिए 250 तथा अग्नि के लिए 200 ऋचाओं की रचना की गयी है।
नोटः प्राचीन इतिहास के साधन के रूप में वैदिक साहित्य में ऋग्वेद के बाद शतपथ ब्राह्मण का स्थान है।
यजुर्वेद के बारे में :
– सस्वर पाठ के लिए मंत्रों तथा बलि के समय अनुपालन के लिए नियमों का संकलन यजुर्वेद
कहलाता है। इसके पाठकर्ता को “अध्वर्यु” कहते हैं।
– यह एक ऐसा वेद है जो गद्य एवं पद्य दोनों में है।
सामवेद के बारे में :
– यह गायी जा सकने वाली ऋचाओं का संकलन है। इसके पाठकर्ता को “उद्रात” कहते हैं।
– इसे भारतीय संगीत का जनक कहा जाता है ।
अथर्वेद के बारे में :
अथर्वा ऋषि द्वारा रचित्त इस वेद में रोग निवारण, तंत्र-मंत्र, जादु टोना, शापयशी आर्शीवाद, स्तुति, प्रायश्चित, औषधि, अनुसंधान, विवाह, प्रेम, राजकर्म, मातृभूमिमा आदि विविध विषयों से संबद्ध मंत्र तथा सामान्य मनुष्यों के विचारों, विश्वासों, अंधविश्वास इत्यादि का वर्णन है।
– इसमें सभा एवं समिति को प्रजापति की दो पुत्रियों कहा गया है।
नोट : सबसे प्राचीन वेद अग्वेद एवं सबसे बाद का वेद अथर्ववेद है।
वेदों को भली भांति समझने के लिए छः वेदागों की रचना हुई।
ये – शिक्षा, ज्योतिष कल्प, व्याकरण, निरूक्त तथा छंद।
पुराण संबंधित वंश – भारतीय ऐतिहासिक कथाओं का सबसे अच्छा क्रमबद्ध विवरण पुराणों में मिलता है। इसके रचयिता लोमहर्ष विष्णु पुराण मौर्य वंश आन्ध सातवाहन अथवा इनके पुत्र उग्रश्रवा माने जाते हैं। इनकी संख्या मलय पुराण 18 है, जिनमें से केवल पाँच-पत्य, वाय, विष्ण, वायु पुराण गुप्त वंश ब्राह्मण एवं भागवत में ही राजाओं की वंशावली पायी जाती है।
नोट : पुराणों में मास्यपुराण सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक है।
– अधिकतर पुराण सरल संस्कृत श्लोक में लिखे गये है। खियाँ तथा शुब जिनमें वेद पढ़ने की अनुमति नहीं थी वे भी पुराण सुन सकते थे। पुराणों का पाठ पुजारी मंदिरों में किया करते थे।
– स्मृतिग्रंथों में सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक मनुस्मृति मानी जाती है। यह शुंग काल का मानक ग्रंथ है। नारद स्मृति गुप्त युग के विषय में जानकारी प्रदान करता है।
– जातक में युद्ध की पूर्वजन्म की कहानी वर्णित है।
– हीनयान का प्रमुख ग्रंथ ‘कथावस्तु’ है| जिसमें महात्मा बुद्ध का जीवन चरित अनेक कथानकों के साथ वर्णित है।
– जैन साहित्य को आगम् कहा जाता है।
– जैनधर्म का प्रारंभिक इतिहास ‘कल्पसुन’ से ज्ञात होता है।
– जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में महावीर के जीवन कृत्यों तथा अन्य समकालिकों के साथ उनके संबंधों का विवरण मिलता है।
– अर्थशास्त्र के लेखक चाणक्य (कौटिल्य या विष्णुगुप्त) हैं। यह 15 अधिकरणों एवं 180 प्रकरणों में विभाजित है। इससे मौर्य कालीन इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है।
– संस्कृत साहित्य में ऐतिहासिक घटनाओं को क्रमबद्ध लिखने का सर्वप्रथम प्रयास करहण के द्वारा किया गया। करक्षण द्वारा रचित पुस्तक राजतरंगिणी है जिसका संबंध कश्मीर के इतिहास से है।
– अरयों की सिंच विजय का वृत्तांत वचनामा (लेखक-अली अहमद) में सुरक्षित है।
– ‘अष्टाध्यायी’ (संस्कृत भाषा व्याकरण की प्रथम पुस्तक) के लेखक पाणिनी है। इससे मौर्य के पहले का इतिहास तथा मौर्ययुगीन राजनीतिक अवस्था की जानकारी प्राप्त होती है।
– त्यापन की गार्गी संहिता एक ज्योतिष ग्रंय है फिर भी इसमें भारत पर होने वाले पवन
आक्रमण का उल्लेख मिलता है।
– पंतजलि पुष्यमित्र शुग के पुरोहित थे. इनके महाभाष्य से शुंगों के इतिहास का पता चलता है।
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