
मुस्लिम लीग और पाकिस्तान की मांग (Muslim League and the Demand of Pakistan)
मुस्लिम लीग और पाकिस्तान की मांग (Muslim League and the Demand of Pakistan)-Hello Friends, Welcome to wikimeinpedia.Com, दोस्तों जैसा की आप लोग जानते ही है की हम आपको प्रतिदिन कुछ नई study मटेरियल provides करते है |आज हम आपके लिए मुस्लिम लीग और पाकिस्तान की मांग notes लेकर आयें है.मुस्लिम लीग और पाकिस्तान की मांग (Muslim League and the Demand of Pakistan) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)
All PDF which are provided here are for Education purposes only. Please utilize them for building your knowledge and don’t make them Commercial. We request you to respect our Hard Work.
इसे भी पढ़े…
- Shankar IAS Target 2019 Science and Technology PDF Download
- PT365 Environment PDF By GS SCORE Free Download
- GS SCORE Prelims 2019 Polity PT 365 PDF
- APTIPLUS Prelims Express 2019 Polity PDF Download
- 100 Important GA questions from Railway RRB Group D Exams
- भारत के अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार परीक्षा की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण
इसे भी पढ़ें…
- A Modern Approach to Verbal Reasoning Book by R.S. Aggarwal
- Reasoning Practice Set ebook in Hindi pdf free Download
- Reasoning Notes on Direction (रीजनिंग – दिशा ज्ञान) ट्रिक
- Rakesh yadav sir class notes of Reasoning
- Internation relation Mains 365 pdf notes by Vision IAS in Hindi and English
- Drishti IAS Geography(भूगोल) Printed Notes -Hindi Medium
- Drishti ( दृष्टि ) History Notes Free Download in Hindi
- भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था By Drishti ( दृष्टि ) Free Download In Hindi
मुस्लिम लीग और पाकिस्तान की मांग (Muslim League and the Demand of Pakistan) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)
मुस्लिम लीग की स्थापना – Birth of Muslim League
आज हम मुस्लिम लीग की स्थापना (formation of Muslim League) कब और किन परिस्थियों में हुई, इसका प्रथम और दूसरा अधिवेशन (first and second session) कब हुआ, इसके अध्यक्ष कौन थे आदि की चर्चा करेंगे. इस लीग के प्रमुख नेता कौन थे और भारतीय आधुनिक इतिहास को मुस्लिम लीग ने किस तरह पलट कर रख दिया, ये भी जानेंगे.
-
भूमिका
भारत में साम्प्रदायिक तत्व को बढ़ावा देने में ब्रिटिश अधिकारीयों का योगदान था. हिंदू राष्ट्रवाद के उदय से मुसलमानों के बीच भय उत्पन्न हो गया था. मुसलमानों के सामजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन को उन्नत बनाने में सर सैयद अहमद की भूमिका प्रशंसनीय थी. 20वीं सदी में भाषाई-विवाद, काउन्सिल न प्रतिनिधियों को निर्वाचित करने, मुसलमानों को सरकारी सेवा में नियुक्ति दिलाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा था. हिंदुओं के बीच सरकार विरोधी रुख को देखकर ब्रिटिश अधिकारियों ने मुसलमानों के प्रति पुरानी दमन-नीति को छोड़कर उन्हें संरक्षण देने की नीति अपना ली थी. बंग-विभाजन ने मुस्लिम साम्प्रदायिकता को प्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहन दिया था. लॉर्ड कर्जन ने कई बार पूर्वी बंगाल का दौरा कर यह स्पष्ट कर दिया था कि वह मुस्लिम बहुल क्षेत्र के लिए ही पूर्वी बंगाल का निर्माण करने जा अरह है जहाँ मुसलमानों को विकास करने का पर्याप्त अवसर मिलेगा.
लॉर्ड मिन्टो
लॉर्ड कर्जन के बाद लॉर्ड मिन्टो भारत का वायसराय बना. भारत मंत्री लॉर्ड मार्ले संवैधानिक सुधार के पक्षधर थे. लॉर्ड मिन्टो मार्ले के विचार से सहमत थे, परन्तु वे सुधार के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय जागरण के वेग को रोकना चाहते थे. इसलिए हिंदू और मुसलमानों के बीच मतभेद की खाई को वे और भी अधिक गहरा बनाना चाहते थे. इस उद्देश्य से उन्होंने अपने निजी सचिव स्मिथ को अलीगढ़ कॉलेज (Aligarh college) के प्रिंसिपल आर्चीवाल्ड (William A.J. Archbold) से मिलने के लिए भेजा और मुसलमानों का एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का सुझाव दिया. मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल को साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व की मांग पेश करने का सन्देश दिया गया था. आर्चीवाल्ड ने स्मिथ का सुझाव अलीगढ़ कॉलेज के सचिव नवाब मोहसिन-उल-मुल्क के सामने रखा.
सर आगा खां
आर्चीवाल्ड गर्मी की छुट्टी में शिमला गए हुए थे. नवाब मोहसिन-उल-मुल्क को दूसरा पत्र नैनीताल से हाजी मुहम्मद इस्लाम खां का मिला जिसमें विधानसभा के विस्तार के सिलसिले में मुसलमानों को अपनी माँग सरकार के सामने रखने की पेशकश की गई थी. आर्चीवाल्ड ने अपने पत्र में यह सुझाव दिया था कि माँग-पत्र पर प्रमुख मुस्लिम प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर, सभी प्रान्तों के मुस्लिम प्रतिनिधि को शामिल करने और पृथक निर्वाचन अथवा मनोनयन की बात को प्रधानता देनी चाहिए. इन पत्रों के आलोक में नवाब मोहसिन-उल-मुल्क ने 4000 मुसलमानों के हस्ताक्षर करवाकर एक प्राथना-पत्र तैयार किया और विभिन्न क्षेत्रों के 35 प्रमुख मुसलमानों का एक प्रतिनिधिमंडल बनाया. सर आगा खां ने मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. 1 अक्टूबर, 1906 ई. को मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल ने वायसराय से शिमला (Simla Deputation) में भेंट की. शिष्टमंडल ने साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व की माँग पेश की. प्रार्थना-पत्र में निम्नलिखित माँगे थीं –
- मुसलमानों को सरकारी सेवाओं में उचित अनुपात में स्थान मिले.
- नौकरियों में प्रतियोगी तत्व की समाप्ति हो.
- प्रत्येक उच्च न्यायालय और मुख्य न्यालय में मुसलमानों को भी न्यायाधीश का पद मिले.
- नगरपालिकाओं में दोनों समुदायों को प्रतिनिधि भेजने की अलग से सुविधा दी जाए.
- विधान परिषद् के लिए मुस्लिम जमींदारों, वकीलों, व्यापारियों, जिला-परिषदों और नगरपालिकाओं के मुस्लिम सदस्य और पाँच वर्षों का अनुभव वाले मुस्लिम स्नातकों का एक अलग निर्वाचक मंडल बनाया जाए.
- वायसराय की काउन्सिल में भारतीयों की नियुक्ति करने के समय मुसलमानों के हितों का ध्यान रखा जाए.
- मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए.
वायसराय लॉर्ड मिन्टो ने प्रतिनिधिमंडल से मिलकर प्रसन्नता व्यक्त की और उत्तर में एक लम्बा पत्र लिखा जिसमें मुसलमानों को संरक्षण देने की बात स्वीकार कर ली गई थी. लॉर्ड मिन्टो ने कहा था कि –
“मुस्लिम सम्प्रदाय को इस बात से पूर्णतः निश्चित रहना चाहिए कि मेरे द्वारा प्रशासनिक पुनर्संगठन का जो कार्य होगा उसमें उनके अधिकार और हित सुरक्षित रहेंगे.”
मौलाना मुहम्मद अली के अनुसार मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल अंग्रेजों के द्वारा बजाई गई बाँसुरी थी. उसमें हिंदू विरोधी लोगों की प्रधानता थी. प्रतिनिधिमंडल की सलफता से मुसलमान अधिक उत्साहित हुए और उधर अंग्रेज़ अधिकारी भी प्रसन्न हो गए. एक अंग्रेज़ अधिकारी ने ने मिन्टो की पत्नी मेरी मिन्टो को यह सूचित किया कि – ” आज एक बहुत बड़ी बात हुई. आज एक ऐसा कार्य हुआ है, जिसका प्रभाव भारत और उसकी राजनीति अपर चिराकाल तक रहेगा. 6 करोड़ 20 लाख लोगों को हमने विद्रोही पक्ष में सम्मिलित होने से रोक लिया है.” मेरी मिन्टो ने इसे युगांतकारी घटना की संज्ञा दी.
मुस्लिम लीग का जन्म
वायसराय लॉर्ड मिन्टो के निमंत्रण पर भारत के अभिजात मुसलमानों को राजनीति में प्रवेश करने का अवसर मिला और वे पूरी तरह राजनीतिज्ञ बनकर शिमला से लौटे. अलीगढ़ की राजनीति सारे देश पर छा गई. ढाका बंगाल -विभाजन के फलस्वरूप आन्दोलन का गढ़ बन गया था. ढाका के नवाब सलीम उल्ला खां ने “मुस्लिम ऑल इंडिया कान्फ्रेड्रेसी (All India Muslim Confederacy)” नामक एक संस्था के निर्माण का सुझाव दिया था. अंग्रेज़ों का सहयोग और संरक्षण का आश्वासन पाकर ढाका में मुसलमानों का एक सम्मेलन 30 दिसम्बर, 1906 ई. (when muslim league formed) को बुलाया गया. सम्मलेन का अध्यक्ष नवाब बकार-उल-मुल्क को बनाया गया. अखिल भारतीय स्तर पर एक मुस्लिम संगठन की नीव इसी सभा में डाली गई. संगठन का नाम “ऑल इंडिया मुस्लिम लीग” रखा गया. मुस्लिम कांफ्रेड्रेसी (Muslim confederacy) का प्रस्ताव बहुमत से अस्वीकृत कर दिया गया.
नवाब वकार-उल-मुल्क ने अलीगढ़ के विद्यार्थियों की सभा में यह कहा था कि “अच्छा यही होगा कि मुसलमान अपने-आपको अंग्रेजों की ऐसी फ़ौज समझें जो ब्रिटिश राज्य के लिए अपना खून बहाने और बलिदान करने के लिए तैयार हों.” नवाब वकार-उल-मुल्क ने कांग्रेस के आन्दोलन में मुसलमानों को भाग नहीं लेने की सलाह दी थी. ब्रिटिश शासन के प्रति निष्ठा रखना मुसलमानों का राष्ट्रीय कर्तव्य है.
मुस्लिम लीग की स्थापना का श्रेय अंग्रेजों को दिया जा सकता है. राष्ट्रीय आन्दोलन की राह में रुकावट पैदा करने के लिए ही मुस्लिम लीग की स्थापना की गई थी. यह संस्था चापलूसों की थी. मुसलमानों को उभारने में वायसराय लॉर्ड मिन्टो और भारत मंत्री मार्ले का भी सहयोग था. प्रथम अधिवेशन (first session) में मुस्लिम लीग के उद्देश्य के सम्बन्ध में स्पष्ट रुपरेखा का आभास नहीं मिलता है. मुस्लीम लीग का दूसरा अधिवेशन (second session) 1907 ई. में कराँची में हुआ जिसमें लीग के लिए एक संविधान बनाया गया.
संविधान
मुस्लिम लीग के संविधान में मुस्लिम लीग के उद्देश्य क्रमशः इस प्रकार थे –
ब्रिटिश सरकार के प्रति भारतीय मुसलमानों में निष्ठा की भावना पैदा करना और किसी योजना के सम्बन्ध में मुसलमानों के प्रति होनेवाली सरकारी कुधाराणाओं को दूर करना.
भारतीय मुसलमानों के राजनीतिक और अन्य अधिकारों की रक्षा करना और उनकी आवश्यकताएँ और उच्च आकांक्षाएँ सयंत भाषा में सरकार के सामने रखना.
जहाँ तक हो सके, उपर्युक्त उद्देश्यों को यथासंभव बिना हानि पहुँचाये, मुसलमानों और भारत के अन्य सम्प्रदायों में मित्रतापूर्ण भावना उत्पन्न करना.
कराँची सम्मलेन में मुस्लिम लीग का स्थाई अध्यक्ष आगा खां को बनाया गया जो खोजा सम्प्रदाय के प्रधान थे. आगा खां अंग्रेजों के मित्र थे और व्यस्तता के कारण प्रतिवर्ष लीग के लिए एक कार्यकारी अध्यक्ष का चुनाव किया जाता था. 1908 ई. में मुस्लिम लीग का कार्यकारी अध्यक्ष सर अली इमाम को बनाया गया जो बिहार के थे. सर अली इमाम ने भी ब्रिटिश शासन के प्रति निष्ठा को भारत के प्रति निष्ठा की संज्ञा दी और उनका मानना था कि वर्तमान प्रशासन तंत्र में सुधार तभी संभव है जब ब्रिटिश शासन बना रहे. लॉर्ड मार्ले ने यह कहा था कि कांग्रेस चंद्रमा को पकड़ने के लिए चिल्ला रही है.
साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व
मुस्लिम लीग मुसलमानों की प्रतिनिधि संस्था माने जाने लगी. कुछ ही मुसलमानों के द्वारा साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत की कटु आलोचना की गयी. परन्तु उनकी आवाज़ दबा दी गयी. कांग्रेस से मुसलमान धीरे-धीरे अलग रहने लगे. मुस्लिम लीग भी जन-प्रतिनिधि संस्था का रूप नहीं ग्रहण कर पायी थी. राजनीतिक प्रश्नों पर सरकार मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों को ही प्रशय देती थी.
एक तरफ मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल साम्प्रदायिक आधार पर प्रतिनिधित्व की माँग कर रहा था तो दूसरी तरफ कांग्रेस के उग्रवादी पूर्ण स्वराज्य की माँग कर रहे थे. भारत में उग्रवादियों की बढ़ती हुई लोकप्रियता से सरकार की चिंता बढ़ी. लॉर्ड मार्ले पहले साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व के पक्षधर नहीं थे किन्तु मिन्टो के आग्रह पर साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व की बात स्वीकार कर ली गई. उस आधार पर 1909 ई. का मार्ले-मिन्टो सुधार लागू किया गया.
पाकिस्तान का निर्माण
1909 ई. के अधिनियम में मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन की मांग को स्वीकार कर हिंदुओं की नाराजगी ब्रिटिश सरकार ने मोल ली थी. दोनों सम्प्रदायों केबीच विद्वेष की भावना बढ़ी. मुसलमानों को प्रत्यक्ष रीति से मतदान करने का अधिकार मिल गया, किन्तु हिंदुओं और दूसरे सम्प्रदायों को अधिकार से वंचित रखा गया. संपत्ति और शैक्षणिक योग्यता में भेदभाव की नीति से काम लिया गया था. मुसलमान स्नातक पाँच वर्ष का अनुभव रहने पर मतदाता बन सकता था और तीन हजार या उससे अधिक कर देने वाले जमींदारों को मतदान का अधिकार साम्प्रदायिकता के आधार पर दिया जाना तर्कसंगत नहीं था. हिंदुओं और मुसलमानों की तुलने में सुविधा और अधिकार से वंचित रखने के चलते देश के अन्दर जो आक्रोश फैला, उसके कारण कई स्थानों में दंगा हुआ. डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने ठीक कहा था कि “पाकिस्तान के सच्चे जनक जिन्ना या रहीमतुल्ला नहीं थे वरन् लॉर्ड मिन्टो थे.” अंग्रेजों की की कूटनीति सफल रही और भारत में साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न हो गया जो अंततः भारत के विभाजन के बाद भी शांत नहीं हो पाया.
दोस्तों अगर आपको किसी भी प्रकार का सवाल है या ebook की आपको आवश्यकता है तो आप निचे comment कर सकते है. आपको किसी परीक्षा की जानकारी चाहिए या किसी भी प्रकार का हेल्प चाहिए तो आप comment कर सकते है. हमारा post अगर आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ share करे और उनकी सहायता करे.
- भारत निर्वाचनआयोग : जनरल नॉलेज – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- सम-सामयिक घटना चक्र अतिरिक्तांक GS प्वाइंटर सामान्य विज्ञान
- UPTET CTET Sanskrit Notes Hindi PDF: यूपीटेट सीटेट संस्कृत नोट्स
- विश्व की प्रमुख जलसंधि – Major Straits of the World – Complete list
- IAS Notes in Hindi Free Pdf Download-wikimeinpedia
- मौद्रिक नीति Monetary policy का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य एवं उपकरण
- 200 सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर के साथ सभी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए
- रक्त कणिकाएं Blood Corpuscles Notes in hindi-wikimeinpedia
- भारतीय वायुसेना दिवस ( महत्वपूर्ण तथ्य ) Indian Air Force Day ( Important Facts )
- भारत की प्रमुख फसल उत्पादक राज्य – Major Crops and Leading Producers
- Biology GK Questions Answers In Hindi-wikimeinpedia
- Important Temples in India | भारत में महत्वपूर्ण मंदिरों सूची
- Insurance GK Questions Answers सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
- भारतीय सेना का सामान्य ज्ञान प्रश्न सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
- Indian Polity GK Questions-भारतीय राज्यव्यवस्था सामान्य ज्ञान
- महत्वपूर्ण नोट्स GK 50 Notes in Hindi for Competitive Exams
- मध्यकालीन भारत का इतिहास PDF में डाउनलोड करें प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए
- History of Modern India Handwritten Notes in Hindi by Raj Holkar
- चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास व जीवनी Chandragupta Maurya History in Hindi
- भारत का आर्थिक इतिहास(Economic History of India)सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
- UPSC Prelims Previous Years Question Paper PDF (GS+CSAT)
अगर आप इसको शेयर करना चाहते हैं |आप इसे Facebook, WhatsApp पर शेयर कर सकते हैं | दोस्तों आपको हम 100 % सिलेक्शन की जानकारी प्रतिदिन देते रहेंगे | और नौकरी से जुड़ी विभिन्न परीक्षाओं की नोट्स प्रोवाइड कराते रहेंगे |
Disclaimer: wikimeinpedia.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है ,तथा इस पर Books/Notes/PDF/and All Material का मालिक नही है, न ही बनाया न ही स्कैन किया है |हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है| यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे.
Leave a Comment