
लोकसभा चुनाव प्रणाली: भारत में लोकसभा चुनाव की क्या प्रक्रियाएं है?
भारतीय संसद के तीन प्रमुख अंग है राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा. इनमें लोकसभा को विशेष तरह की या यों कहे तो अधिकांश शक्तियों से परिपूर्ण बनाया गया है. लोकसभा को दी गई यह वरीयता लोकतंत्र के सिद्धांत पर सटीक बैठती है. ऐसा करने का प्रमुख कारण है इसके सदस्यों को सीधे जनता द्वारा चुना जाना. आज हम इस पोस्ट में लोकसभा की चुनाव प्रणाली के अंतर्गत लोकसभा सदस्यों को प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाने के संबंध में ढेर सारी बातों को समझेंगें. Indian Lok Sabha Election System in hindi
All PDF which are provided here are for Education purposes only. Please utilize them for building your knowledge and don’t make them Commercial. We request you to respect our Hard Work.
इसे भी पढ़े…
- Shankar IAS Target 2019 Science and Technology PDF Download
- PT365 Environment PDF By GS SCORE Free Download
- GS SCORE Prelims 2019 Polity PT 365 PDF
- APTIPLUS Prelims Express 2019 Polity PDF Download
- 100 Important GA questions from Railway RRB Group D Exams
- भारत के अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार परीक्षा की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण
इसे भी पढ़ें…
- A Modern Approach to Verbal Reasoning Book by R.S. Aggarwal
- Reasoning Practice Set ebook in Hindi pdf free Download
- Reasoning Notes on Direction (रीजनिंग – दिशा ज्ञान) ट्रिक
- Rakesh yadav sir class notes of Reasoning
- Internation relation Mains 365 pdf notes by Vision IAS in Hindi and English
- Drishti IAS Geography(भूगोल) Printed Notes -Hindi Medium
- Drishti ( दृष्टि ) History Notes Free Download in Hindi
- भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था By Drishti ( दृष्टि ) Free Download In Hindi
संसद सदस्य बनने के लिए अहर्ता एवं निरर्हताओं की बात हम पूर्व के पोस्ट में कर चुके है. उसमें हमने लोकसभा के संदर्भ में प्रमुखतः जाना था की 25 वर्ष की आयु का कोई भी भारत का नागरिक भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा और समर्पण की शपथ के साथ लोकसभा सदस्य के लिए चुनाव लड़ सकता है. हमने उसमें विस्तार पूर्वक अन्य शर्तों एवं प्रावधानों की भी चर्चा की थी. हमारा सुझाव है की लोकसभा की चुनाव प्रणाली से संबंधित इस पोस्ट को पढ़ने से पूर्व आप उक्त पोस्ट (संसद सदस्य अर्हताएं और निरर्हताएं: सांसद बनने और हटाये जाने से जुड़े प्रावधान क्या है?) को पढ़ लें.
भारत में लोकसभा अर्थात निचले सदन के चुनाव की प्रक्रिया
भारत में लोकसभा के सदस्यों के चुनाव के लिए प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को अपनाया गया है. इसके अंतर्गत पुरे देश को विभिन्न प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा जाता है. प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक संसद सदस्य निर्वाचित होते है. यानी की प्रत्येक संसद सदस्य एक भूभागीय क्षेत्र (निर्वाचन क्षेत्र) का प्रतिनिधित्व करता है.
लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया के अंतर्गत निम्न चार चीजों को समझना आवश्यक है.
- पुरे देश को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटना
- प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में बांटे जाने से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- विशेष वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था
- प्रत्यक्ष निर्वाचन की व्यवस्था ही क्यों, आनुपातिक प्रतिनिधित्व क्यों नहीं?
प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में बांटा जाना
प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अंतर्गत प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा भारतीय लोकसभा का चुनाव कराने के लिए भारत को विभिन्न प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है.
प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटने से तात्पर्य है की पुरे देश को चुनाव कराये जाने के आधार पर एक तय मानक का पालन करते हुए विभाजित करना. आप इसे ऐसे समझ सकते है की जैसे एक A4 सीट वाले कागज पर छोटे छोटे खाने बना कर उसे विभजित कर दिए गए हो.
भारत को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में बांटते समय कुछ नियमों का पालन किया जाता है जिसकी हम आगे चर्चा करेंगें और समझेंगें. लेकिन अगर नियमों को नजरअंदाज कर केवल प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों को समझने का प्रयास करें तो भारत को कुछ ऐसे बांटा जाता. (नीचे के चित्र देखें)

उपर के चित्र को देखें. इसमें किसी नियमों के बिना ही भारत को विभिन्न प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटने की स्थिति दर्शाई गयी है लेकिन यथार्थ में इसके लिए कुछ नियमों का प्रयोग किया जाता है.
प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में बांटे जाने से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
आप संसद पोस्ट में पढ़ चुके है की लोकसभा में सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 निर्धारित की गई है जिसमें 550 निर्वाचित सदस्य होंगे तथा दो मनोनीत सदस्य होंगे. तो ऐसे में प्रश्न उठता है की किस राज्य से कितने सदस्य होंगे इस बात का निर्धारण कैसे हो? अर्थात लोकसभा के लिए राज्यों के बीच सीटों का बंटवारा कैसे हो?
इसी तरह आपने उपर पढ़ा है की प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के द्वारा चुनाव कराने के लिए पुरे देश को विभिन्न निर्वाचन क्षेत्र में बाँट दिया जाता है तो इसके बाँटने का आधार क्या होगा? किसी एक राज्य में कितने निर्वाचन क्षेत्र बनाये जानेगें?
इससे संबंधित संवैधानिक प्रावधान है की,
1. प्रत्येक राज्य को लोकसभा में सीटों का आवंटन इस प्रकार होगा की सीटों की संख्या और जनसंख्या का अनुपात सभी राज्यों के लिए एक समान हो
अगर सरल शब्दों में कहे तो, इसका अर्थ है की पूरे देश को निर्वाचन क्षेत्रों में बांटे जाने की स्थिति में प्रति सीट मतदाताओं की संख्या सभी राज्यों के लिए एक समान हो.
ऐसी स्थिति में अधिक जनसंख्या वाले राज्यों को लोकसभा में अधिक सीटों का आवंटन होगा और कम जनसँख्या वाले राज्य लोकसभा में भागीदारी से वंचित रह जाते इसीलिए यह नियम 60 लाख से कम आबादी वाले राज्यों के ऊपर लागू नहीं होता है.
2. प्रत्येक राज्य को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में इस प्रकार विभाजित किया जाएगा की पूरे राज्य में सीटों की संख्या और जनसंख्या का अनुपात एक समान हो.
‘प्रत्येक राज्य में सीटों का आवंटन किस तरह होगा’ के प्रावधानों के बाद ‘प्रत्येक राज्य को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में किस तरह बांटा जाएगा’ के प्रावधान भी मिलते है. इसका थीम भी पहले वाले प्रावधानों से मिलता जुलता है. इस संबंध में भी कहा गया है की राज्य के स्तर पर भी प्रति सीट मतदाताओं की संख्या एक समान होगी.
उपरोक्त दोनों प्रावधानों से एक चीज तो तय लगती है की जनसंख्या में फेर बदल के बाद निर्वाचन क्षेत्रों में भी फेर-बदल के आसार है. इसीलिए प्रत्येक जनगणना के बाद इसका पुनः समायोजन होता है. लेकिन एक बात ध्यान देने की है की इस समायोजन की प्रक्रिया में राज्यों के बीच हुए सीट के आवंटन के साथ फेर बदल नहीं किया जाता. केवल राज्य के भीतर समायोजन किया जाता है.
भारतीय संविधान संसद को यह अधिकार देता है की वह इस समायोजन से जुड़े नियम-विनियम, प्रावधान बनाये. अंतिम रूप से, 84 वां संसोधन 2001 के द्वारा आवंटन को 2026 तक के लिए स्थिर कर दिया गया है और 87 वां संसोधन 2003 द्वारा 2001 की जनगणना के आधार पर परिसीमन तय किया गया है.
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व में जनसंख्या संबंधी समरूपता बनाये रखने के लिए हर जनगणना के बाद एक परिसीमन आयोग का गठन होता है. यह निर्वाचन आयोग के अधीन कार्य करता है. इसके अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीस होते है. संसद ने 1952, 1962, 1972 और 2002 में परिसीमन आयोग अधिनियम लागू किया.
विशेष वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था
संविधान में किसी धर्म विशेष के लिए कोई स्थान आरक्षित नहीं किया गया है. लेकिन अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के लिए जनसँख्या के अनुपात के आधार पर लोकसभा में सीटें आरक्षित की गई है. इस प्रावधान के जरिए यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है की लोकसभा सदस्यों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों का भी सही अनुपात बना रहें.
यह उल्लेखनीय है की सीटें आरक्षित होने का यह अर्थ कतई नहीं है की अन्य लोग इस चुनाव में भाग नहीं लेंगें. आरक्षित सीट पर होने वाले चुनाव में भी निर्वाचन क्षेत्र के सभी लोग भाग लेते है और अपना प्रतिनिधि चुनते है. इसी तरह स्थान आरक्षित होने का यह मतलब नहीं है की अनुसूचित जाति या जनजाति के लोग अन्य स्थान से चुनाव नहीं लड़ सकते. वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र होते है.
अनुसूचित जाति या जनजाति के लोगों के लिए लोकसभा में आरक्षण की व्यवस्था मूल संविधान में स्थायी समय के लिए नहीं की गई थी. संविधान में कहा गया था की उनकी जनसँख्या के अनुपात में स्थायी प्रतिनिधित्व हो जाने पर 10 वर्ष बाद इस व्यवस्था को हटा दिया जाएगा. लेकिन ऐसा न होने पर कई संविधान संसोधन अधिनियम द्वारा आरक्षण की व्यवस्था लागू होने के समय सीमा को बढाया गया.
अगर अंतिम अपडेट की बात करें तो 95वें संविधान संसोधन अधिनियम 2009 द्वारा इनकी आरक्षण की समय सीमा को बढाकर 2020 कर दिया गया है. अर्थात 2020 तक लोकसभा में SC/ST के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू रहेगी.
प्रादेशिक प्रतिनिधित्व क्यों, आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था क्यों नहीं?
आप ऊपर पढ़ी गई बातों से समझ चुके है की भारत में लोकसभा के चुनाव के लिए प्रादेशिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था को अपनाया गया है जिसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है और संसद सदस्य के रूप में निर्वाचित होता है. अब एक अहम् प्रश्न है की लोकसभा चुनाव के लिए प्रादेशिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था को ही क्यों अपनाया गया, राज्यसभा को तरह आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था को क्यों नहीं अपनाया गया.
आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था में सभी वर्गों को अपनी संख्या के अनुसार प्रतिनिधित्व मिलता है. यह दो प्रकार के होते है एकल हस्तांतरणीय मत व्यवस्था और सूची व्यवस्था. भारत में राज्य सभा, राज्य विधान परिषद, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में एकल हस्तांतरणीय मत व्यवस्था को अपनाया गया है.
हम इस बारे में विशेष चर्चा किसी अन्य पोस्ट में करेंगें. यहाँ आइये समझते है की लोकसभा चुनाव में राज्यसभा को तरह आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था को क्यों नहीं अपनाया गया. इसे नहीं अपनाये जाने के पीछे के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे.
1. आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था में सम्पादित मतदान की प्रक्रिया जटिल होती है, इसे समझने में कठिनाई होती है. भारत में आम जन के समझने के लिहाज से यह सही निर्णय नहीं साबित होता.
2. जैसा की हमने उपर चर्चा किया है की बहुदलीय व्यवस्था के कारण संसद में अस्थिरता बढ़ती.
3. इसके आलावा भी इसे न अपनाये जाने के बहुत से सामान्य कारण थे जैसे की खर्चीली व्यवस्था, उपचुनाव का अवसर नहीं प्रदान करना, मतदाताओं एवं प्रतिनिधियों के बीच आत्मीयता को कम करना, पार्टी व्यवस्था के महत्व को बढ़ा कर मतदाताओं के महत्व को कम करना आदि.
स्पष्ट है की इन कारको के चलते लोकसभा चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था को न अपनाकर प्रादेशिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था को अपनाया गया.
Indian Polity in Hindi PDF
दोस्तों अगर आपको किसी भी प्रकार का सवाल है या ebook की आपको आवश्यकता है तो आप निचे comment कर सकते है. आपको किसी परीक्षा की जानकारी चाहिए या किसी भी प्रकार का हेल्प चाहिए तो आप comment कर सकते है. हमारा post अगर आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ share करे और उनकी सहायता करे.
- भारत निर्वाचनआयोग : जनरल नॉलेज – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- सम-सामयिक घटना चक्र अतिरिक्तांक GS प्वाइंटर सामान्य विज्ञान
- UPTET CTET Sanskrit Notes Hindi PDF: यूपीटेट सीटेट संस्कृत नोट्स
- विश्व की प्रमुख जलसंधि – Major Straits of the World – Complete list
- IAS Notes in Hindi Free Pdf Download-wikimeinpedia
- मौद्रिक नीति Monetary policy का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य एवं उपकरण
- 200 सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर के साथ सभी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए
- रक्त कणिकाएं Blood Corpuscles Notes in hindi-wikimeinpedia
- भारतीय वायुसेना दिवस ( महत्वपूर्ण तथ्य ) Indian Air Force Day ( Important Facts )
- भारत की प्रमुख फसल उत्पादक राज्य – Major Crops and Leading Producers
- Biology GK Questions Answers In Hindi-wikimeinpedia
- Important Temples in India | भारत में महत्वपूर्ण मंदिरों सूची
- Insurance GK Questions Answers सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
- भारतीय सेना का सामान्य ज्ञान प्रश्न सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
- Indian Polity GK Questions-भारतीय राज्यव्यवस्था सामान्य ज्ञान
- महत्वपूर्ण नोट्स GK 50 Notes in Hindi for Competitive Exams
- मध्यकालीन भारत का इतिहास PDF में डाउनलोड करें प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए
- History of Modern India Handwritten Notes in Hindi by Raj Holkar
- चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास व जीवनी Chandragupta Maurya History in Hindi
- भारत का आर्थिक इतिहास(Economic History of India)सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
- UPSC Prelims Previous Years Question Paper PDF (GS+CSAT)
अगर आप इसको शेयर करना चाहते हैं |आप इसे Facebook, WhatsApp पर शेयर कर सकते हैं | दोस्तों आपको हम 100 % सिलेक्शन की जानकारी प्रतिदिन देते रहेंगे | और नौकरी से जुड़ी विभिन्न परीक्षाओं की नोट्स प्रोवाइड कराते रहेंगे |
Disclaimer: wikimeinpedia.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है ,तथा इस पर Books/Notes/PDF/and All Material का मालिक नही है, न ही बनाया न ही स्कैन किया है |हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है| यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे.
Leave a Comment