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शारदा पीठ कॉरिडोर की जानकारी | Sharda Peeth Corridor Details in Hindi

शारदा पीठ कॉरिडोर की जानकारी
शारदा पीठ कॉरिडोर की जानकारी

शारदा पीठ कॉरिडोर की जानकारी | Sharda Peeth Corridor Details in Hindi

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शारदा पीठ कॉरिडोर की जानकारी (Sharda or Sharada Peeth Corridor Details in Hindi)

इन दिनों पाकिस्तान और भारत के बीच गर्मागर्मी बनी हुई है. कुछ समय पहले भारत और पाकिस्तानी सीमा के बीच करतारपुर कॉरिडोर बनाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये थे. और अब पाकिस्तान सरकार ने भारत के साथ संबंध बेहतर बनाने के उद्देश्य से एक और कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव दिया है. यह ‘शारदा पीठ कॉरिडोर’ हैं, जिसे बनाने के लिए कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान की ओर से प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. यह कॉरिडोर क्या है इसका इतिहास क्या है एवं इससे जुड़ी सभी जानकारी को आप हमारे इस लेख में देखें.  

शारदा पीठ कॉरिडोर क्या है ? (What is Sharda Peeth Corridor ?)

शारदा पीठ एक प्राचीन हिन्दू मंदिर और सांस्कृतिक तीर्थ स्थल है, जोकि पाकिस्तान के अंडर में आने वाले कश्मीर में स्थित है. पाकिस्तान ने शारदा पीठ तीर्थस्थल तक हिन्दू तीर्थ यात्रियों को पहुंचने के लिए एक कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव भारत के साथ साझा किया है. यह कॉरिडोर भारत अधिकृत कश्मीर से लेकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के शारदा पीठ तीर्थ स्थल तक बनाने के बारे में बात की गई है. यह पाकिस्तान के अधिकृत वाली जमीन में करतारपुर कॉरिडोर के बाद दूसरा धार्मिक मार्ग होगा, जोकि दो पड़ोसी देशों को जोड़ता है.

शारदा पीठ कॉरिडोर को बनाने का उद्देश्य (Objective of Sharda Peeth Corridor Construction)

शारदा पीठ कॉरिडोर बनाने के लिए पाकिस्तान द्वारा घोषणा की गई है. लेकिन पाकिस्तान का इसके पीछे उद्देश्य क्या है इसके बारे में हम यहाँ कुछ बातें बता रहे हैं –

  • इसके पीछे का पहला उद्देश्य यह हो सकता है कि पाकिस्तान अपनी इमेज सुधारने के लिए यह फैसला ले रहा है, क्योंकि अभी कुछ समय पहले खबर आई, कि पाकिस्तान में कुछ हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया है.
  • इसके अलावा यह भी कह सकते हैं, कि पाकिस्तान ने इसकी घोषणा इस समय इसलिए की है, ताकि भारतीय पर्यटक पाकिस्तान में आकर उनकी अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे सके. दरअसल इस समय पाकिस्तान की पर्यटन इंडस्ट्री बहुत अच्छी नहीं है, वहां जितना योगदान अन्य देशों द्वारा दिया जाना चाहिए था, वह नहीं हो पा रहा है, इसलिए पाकिस्तान सरकार चाहती है, कि भारत के साथ – साथ चीन, जापान जैसे देशों के पर्यटक यहाँ आयें, जिससे पाकिस्तान की पर्यटन इंडस्ट्री को बेहतर बनाने में उनकी मदद हो सके. इसमें पाकिस्तान के लिए सबसे ज्यादा भारतीय पर्यटक महत्वपूर्ण हैं, इसलिए उन्होंने इस कॉरिडोर को बनाने का फैसला किया है.

इस तरह से पाकिस्तान सरकार का मानना है, कि जब यह कॉरिडोर का निर्माण होगा, उसके बाद पाकिस्तान की ओर भारतीय पर्यटकों का आकर्षण बढ़ेगा. साथ ही पाकिस्तान सरकार का लक्ष्य यह है, कि आने वाले सालों में पाकिस्तान की पर्यटन इंडस्ट्री का 30 बिलियन का योगदान हो.         

शारदा पीठ का इतिहास (Sharda Peeth History)

कश्मीर में स्थित शारदा पीठ मंदिर के पीछे का इतिहास पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, कुछ लोगों का मानना है, कि इसे कुषाण साम्राज्य में यानि 30 CE – 230 CE के बीच बनाया गया था. जबकि कुछ का कहना है, कि शारदा पीठ और मार्तंड सूर्य मंदिर के बीच समानताएं यह बताती है, कि यह ललितादित्य द्वारा बनवाया गया था. कुछ लोग कहते हैं, कि इसे एक बार में नहीं बल्कि कई चरणों में बनाया गया है. इसके अलावा यह भी कहा जाता है, कि इसकी स्थापना 237 BC में सम्राट अशोका के शासनकाल के दौरान हुई थी. इसके साथ ही इसे 5000 साल पुराना बताया जाता है, जोकि एक त्याग किया हुआ मंदिर और विद्या की देवी को समर्पित सीखने का प्राचीन केंद्र है. लेकिन कहा जाता है कि उस दौरान यहाँ केवल तीर्थस्थल ही था, यहाँ विश्वविद्यालय या अन्य शिक्षण संस्थान जैसा कुछ भी नहीं था.

इस दृष्टिकोण से यह भी कहा जा सकता है कि इसका निर्माण इंडो – आर्यों द्वारा नहीं किया गया होगा, जिसके बारे में यह अनुमान है, कि वर्तमान युग से लगभग 1500 साल पहले वे गंगा नदी में प्रवेश कर गये थे. इसके बजाय इसका निर्माण भारत – अफगानों द्वारा किया गया होगा, जिसके बारे में कहा जाता है, कि वे बहुत पहले से कश्मीर में थे.   

शारदा पीठ की लोकेशन (Sharda Peeth Location)

जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ था, उस समय यह मंदिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में था. जिससे यह भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए सीमा से बाहर हो गया है. प्राचीन शारदा मंदिर के साथ ही शारदा विश्वविद्यालय के आस – पास के खंडहर, नीलम घाटी पर स्थित है. यह मुज्जफराबाद से लगभग 160 किमी और कुपवाड़ा से 30 किमी की दूरी पर स्थित है एवं नियंत्रण रेखा के काफी करीब है. यह मंदिर जिस गाँव में स्थित हैं, उस गाँव का नाम शारदा हैं, यहाँ नीलम नदी मधुमती और सरगुन नदियों से मिलती है.

शारदा पीठ मंदिर की मान्यता (Sharda Peeth Temple Pilgrimage)

कश्मीरी पंडितों का मानना है कि कश्मीर में शारदा, देवी शक्ति की त्रैमासिक अवतार हैं, जिसमे शारदा जोकि विद्या की देवी है, सरस्वती जोकि ज्ञान की देवी है और वाग्देवी जोकि वाणी की देवी है, ये सभी शक्ति की आराधना करती है.

कहा जाता है कि डोगरा शासन के दौरान, मंदिर कश्मीरी पंडितों के लिए एक नियमित तीर्थ स्थल के रूप में उभरा. इसके बाद सन 1947 में टिककर कुपवाड़ा के स्वामी नंदलाल जी ने पत्थर की मूर्तियों को शारदा गांव से टिककर में स्थानांतरित कर दिया, जिनमे से कुछ बारामुला के देवीबल और कुछ टिककर में ही संरक्षित है. शारदा पीठ तीर्थस्थल के बारे में यह मान्यता है, कि किशनगंगा नदी और मधुमती नदी के संगम में स्नान करने से पापों की शुद्धि होती है. 

शारदा पीठ की रोचक जानकारी (Sharda Peeth Interesting Facts)

  • क्लासिकल कश्मीर शैली के अनुसार इस मंदिर की ऊंचाई 142 फीट, और चौड़ाई 94.6 फीट है. इसके साथ ही मंदिर की बाहरी दीवारें 6 फीट चौड़ी और 11 फीट लम्बी है, और 8 फीट ऊंचाई वाले आर्च हैं. किन्तु अब यह साइट बहुत ही क्षतिग्रस्त हो चुकी है. और यह संभावना है कि इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा आसपास के आवासीय भवनों में पुनः उपयोग किया गया है.
  • प्राचीन समय में इस मंदिर के कारण कश्मीर को कभी – कभी शारदा देश कहा जाता था और वहां के रहने वाले निवासियों को कश्मीर का निवासी कहा जाता था. यह मंदिर इतना पुराना है कि उस समय कश्मीर राज्य को ‘शारदा पीठ’ के नाम से भी जाना जाता था.
  • यह मंदिर हिन्दू देवी सरस्वती जी का मंदिर हैं. कहा जाता है कि इस शारदा पीठ मंदिर के पास एक विश्वविद्यालय भी था, जहाँ वैदिक कार्य से सम्बंधित उच्च शिक्षा दी जाती थी.
  • कहते है कि कश्मीर तब तक हिन्दू वैदिक कार्यों का केंद्र बना हुआ था, जब तक कि उस क्षेत्र में रहने वाले लोग इस्लाम धर्म में परिवर्तित नहीं हो गये.
  • शारदा पीठ दक्षिण एशिया के 18 अति पूज्यनीय मंदिरों में से एक हैं, इसकी कभी नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षण संस्थाओं से भी तुलना की जाती थी.
  • 6 वीं से 12 वीं शताब्दी CE के बीच, शारदा पीठ मंदिर एवं विश्वविद्यालय भारतीय उपमहाद्वीप के अग्रणी मंदिर एवं विश्वविद्यालयों में से एक था.

इस तरह से पाकिस्तान का भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए यह करतारपुर कॉरिडोर के बाद दूसरा बड़ा कदम कहा जा सकता है. भारत इस कॉरिडोर के निर्माण के लिए पाकिस्तान के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करते हैं या नहीं या कब करते हैं, यह सभी जानकारी जल्द ही हम आप तक इस लेख के माध्यम से पहुंचाएंगे.

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