
ESSAY ON RAJASTHAN IN HINDI | राजस्थान पर निबंध संस्कृति इतिहास भूगोल राजधानी
Essay On Rajasthan In Hindi | राजस्थान पर निबंध संस्कृति इतिहास भूगोल राजधानी: क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य राजस्थान कई खूबियों के कारण दुनिया भर में जाना जाता हैं. essay on rangilo rajasthan in hindi राज शाही इतिहास और राजे महाराजाओं की कर्मस्थली राजस्थान से जुडी कई देशभक्ति की कथाएँ राज्य के गौरव को बढ़ाती हैं. Rajasthan Essay & Essay On Rajasthan में आज हम राज्य की राजधानी, इतिहास, कला, संस्कृति, वेशभूषा, परम्पराएं, रीती रिवाज, भाषा भूगोल पर्यटन स्थल आदि के बारे में इस राजस्थान निबन्ध में आगे बात करेगे.
Essay On Rajasthan In Hindi
History Of Rajasthan Facts About Rajasthani Sanskriti: वीर किवदंतियां रोमांटिक कहानियाँ, जीवंत संस्कृति, रेतीली मरुस्थलीय भूमि पर ऊंट पर बैठकर सवारी जब ये यादे मानस पटल पर आती है तो एक ही नाम जेहन में आता है म्हारों रंगीलों राजस्थान. इतिहास में यह राजाओं की भूमि यानि राजपूताना के नाम से विख्यात था आजादी के बाद इसे राजस्थान कहा जाने लगा. प्रकृति की अनूठी छटा में अवस्थित उत्तरी भारत का यह राज्य अपने कालातीत आश्चर्य जीवित साक्ष्य हैं. यात्रा का शौक रखने वाले मुसाफिर की मंजिल यही आकर खत्म आती हैं.
Essay On Rajasthan In Hindi (राजस्थान राज्य पर निबंध विकिपीडिया)
राजस्थान पाकिस्तान के किनारे एक उत्तरी भारतीय राज्य है इसके महल और किले ऐतिहासिक रूप से इस क्षेत्र के लिए कई विवादित कई साम्राज्यों की अनुस्मारक हैं. राजस्थान की राजधानी जयपुर / गुलाबी नगर 18 वी सदी का शहर पैलेस और शाही महिलाओं के लिए पूर्व कलस्टर, हवा महल 5 कहानी वाली गुलाबी बलुआ पत्थर की स्क्रीन सामने हैं .
देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए राजस्थान भारत के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक हैं. राजस्थान अपने ऐतिहासिक किलों, महलों कला और संस्कृति के लिए अपने नारे पधारों म्हारे देश और अब पर्यटन का लोगो जाने क्या दिख जाए के साथ ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा हैं.
भारत आने वाले प्रति तीसरे पर्यटक राजस्थान की यात्रा जरुर करते हैं. क्योंकि यह भारत के पर्यटन स्थ्लों के स्वर्णिम त्रिभुज का अहम हिस्सा भी हैं. जयपुर के महल, उदयपुर की झीले, जोधपुर जैसलमेर और बिकानेर का मरुस्थलीय भाग पर्यटकों की पसंदीदा स्थलों में से एक हैं.
पिछले वर्षों की तुलना में राजस्थान में आठ प्रतिशत तक पर्यटन में वृद्धि दर्ज की गई हैं. यहाँ के कई ऐतिहासिक भवनों, इमारतों तथा किलों को हेरिटेज होटल की श्रेणी में रखा गया हैं. राजस्थान अपने पहाड़ी किलों और महलों के लिए विशेष रूप से जाना जाता हैं.
राजस्थान का इतिहास व भूगोल (history of rajasthan in hindi)
जो कोई एक बार इस क्षेत्र का भ्रमण कर जाता हैं उनके जीवन के सबसे यादगार पलों में राजस्थान की यात्रा का रोचक अध्याय जुड़ जाता हैं. भारत के उत्तर पश्चिम में पाकिस्तान की सीमा से सटा यह प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से देश का सबसे बड़ा भूभाग हैं. राजस्थान का क्षेत्रफल 342,269 वर्ग किलोमीटर है जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.4% भाग हैं. इस रंगीले प्रदेश की राजधानी जयपुर है. राज्य का सबसे ठंडा स्थान माउंट आबू है जो राज्य का एकमात्र हिल स्टेशन भी हैं. पश्चिम के दस जिलों में थार के रेगिस्तान का तक़रीबन 60 प्रतिशत भूभाग आता हैं, जो मृत रेत और सूखा प्रदेश हैं.
राजस्थान के इतिहास नारी शक्ति की इज्जत का रखवाला
1490 का वह दौर जब राजस्थान के पश्चिमी भूभाग जिसे मारवाड़ कहा जाता हैं यहाँ पर भयंकर अकाल पड़ा था. इस अकाल की स्थिति में लोगों के पास जीवन बसाने का कोई सहारा नही था. लाखों लोग मौत के घाट में उतर चुके थे. दूदा और वरसिंह उस समय मारवाड़ के शासक राव सातल के छोटे भाई थे उन्होंने सांभर को लूटा और मेड़ता के रास्ते मारवाड़ आ गये. मल्लू खान सांभर का शासक था. उसने प्रतिरोध के रूप में मेड़ता पर चढ़ाई की, उस समय तालाब पर गौरी पूजन के लिए आई 140 कन्याओं का उसने अपहरण कर दिया.
राव सातल फौरन अपनी सेना लेकर उनका पीछा करने लगे, उन्होंने मुस्लिम सेनापति घुडला खां का सर काटकर उन 140 कन्याओं को सौप दिया. वे कन्याएं उस सिर के साथ पूरे गाँव का चक्कर लगाया. आज भी इसी परम्परा को जिन्दा रखते हुए मारवाड़ में प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला तृतीया को घुड़ला त्योहार मनाया जाता हैं.
राजस्थान की कला व संस्कृति व व्यजंन
राजस्थानी लोगों का खाने का अच्छा शौकीन माना जाता हैं. राज्य की पहचान अपने खान पान की वजह से भी इसकी शान को चार चाँद लगते हैं. यहाँ 10 कोस पर पानी के बदलते स्वाद के साथ साथ पकवान व उनका स्वाद भी बदलता जाता हैं. भुजिया, सान्गरी, दाल बाटी, चूरमा, पिटौर की सब्जी, दाल की पूरी, मावा मालपुआ, बीकानेरी रसगुल्ला, घेवर, झाजरिया, लपसी, बालूशाही, गौंदी, पंचकूट, गट्टे की सब्जी, हल्दी का साग लोगों के जीभ के स्वाद को बनाए रखते हैं.
स्थानीय जनता के विभिन्न अवसरों पर गाये जाने वाले संगीत एवं नृत्य बेहद अनूठे एवं मीठे हैं. यहाँ पर आज भी लोग अपनी परमपराओं को अपने से जोड़े हुए हैं.राजस्थानी व्यक्ति की वेशभूषा में साफा पगड़ी घोती कुर्ता महिलाओं में लहंगा कुर्ती और रंग बिरंगी ओढ़नी अनूठे राजस्थान की कला की जीवन्तता को दर्शाती हैं. नक्काशी, सोने मिटटी तथा कांच के आभूषण तथा पत्थरों पर नक्काशी की कला का उत्कृष्ट उदहारण राजस्थान में ही देखा जा सकता हैं.
राजस्थान की जलवायु व भाषा
राजस्थान एक शुष्क एवं मरुस्थलीय प्रदेश माना जाता हैं. यहाँ की जलवायु वर्षभर गर्म रहती हैं. यहाँ भी सर्दी गर्मी एवं बरसात तीनों ऋतुओं में तापमान काफी अधिक रहता हैं. गर्मियों में पारा 50 डिग्री को छू लेता हैं. राज्य के ठंडे स्थानों में सिरोही का माउंट आबू क्षेत्र इस गर्मी में कुछ राहत दिलाता हैं.
यदि आप राजस्थान भ्रमण पर आए है तो आपकों यहाँ हर क्षेत्र में भिन्न भाषाएँ सुनने को मिलेगी. राज्य के अधिकतर क्षेत्र में राजस्थानी व हिंदी बोली जाती हैं. पड़ोसी राज्यों की सीमा से छ्टे जिलों में दोनों राज्यों की मिश्रित भाषाएँ बोलते हैं. कही गुजराती, पंजाबी, मालवी, सिन्धी, हरियाणवी, ब्रज आदि का संगम राजस्थान में देखा जा सकता हैं.
राजस्थान के बारे में जानकारी हिंदी में (Rajasthan Gk In Hindi)
ऊपर दिए गये राजस्थान निबन्ध पर आपकों हमारे राज्य की विरासत संस्कृति, इतिहास, खान पान भूगोल के बारे में काफी कुछ बता दिया हैं. यहाँ आपकों कुछ तथ्यात्मक जानकारी दे रहे हैं. राजस्थान की राजधानी का नाम जयपुर हैं तथा न्यायिक राजधानी जोधपुर को कहा जाता है क्योंकि राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में हैं. राज्य का कुल क्षेत्रफल 342,239 वर्ग किलोमीटर हैं.
2012 के आंकड़ों के अनुसार राज्य की जनसंख्या 6.89 करोड़ हैं सबसे अधिक आबादी वाला जिला जयपुर तथा कम आबादी जैसलमेर की हैं. क्षेत्रफल में जैसलमेर सबसे बड़ा जिला हैं. जिसका घनत्व भी सबसे न्यून हैं. राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हैं जो झालावाड़ की झालरापाटन सीट से चुनाव लड़ती हैं. यह राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री भी हैं.
पश्चिम में पाकिस्तान से राजस्थान की 1070 किलोमीटर स्थलीय सीमा लगती हैं राज्य के उत्तर पूर्व में पंजाब हरियाणा तथा उत्तरप्रदेश की सीमा लगती हैं. तथा दक्षिण व पूर्व दक्षिण में इसकी सीमाएं गुजरात व मध्यप्रदेश के साथ मिलती हैं. दो राज्यों के बिच सर्वाधिक लम्बी सीमा मध्यप्रदेश के साथ है जहाँ दोनों राज्यों के 10-10 सीमावर्ती जिले हैं.
वर्तमान में 33 जिलों, 7 संभाग वाले इस राज्य का निर्माण 1 नवम्बर 1956 को 7 चरणों में पूरा हुआ था, हीरालाल शास्त्री राज्य के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री थे. राजस्थान के राज्यपशु क्रमशः चिंकारा व ऊंट हैं. राज्य पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड गोडावण हैं. राज्य फूल रोहिड़ा तथा राज्य वृक्ष खेजड़ी हैं. जनसंख्या के लिहाज से राज्य का भारत में आठवां स्थान हैं. यहाँ पर 200 विधानसभा सीटें है जिनके लिए दिसम्बर 2019 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. राज्य में 25 लोकसभा व 10 राज्य सभा सीट हैं.
Essay On Rajasthan In Hindi Language In 500 Words
प्रस्तावना- राजस्थान में ऐसे अनेक स्थान है जो जो राजपूतो की वीरता के साक्षी रहे है.वस्तुत ;इस नाम से इस प्रदेशकी रंग बिरगी परम्पराओ ,रीति रिवाजों एव आचलिक विशेषताओं का स्मरण हो जाता है .इसलिए इसे अनोखी जीवंत संस्कृति वाला तथा रंगीला प्रदेश भी कहा जाता है .
राजस्थान का रंगीला स्वरूप – प्राकृतिक रूप से राजस्थान को अरावली पर्वतमाला इसे दो भागो में अलग करती है .यहा की मरुभूमि हर किसी का मनहरण कर लेता है तो साउथ तथा ईस्ट राजस्थान हरी भरी भोगोलिक छटाओ के कारण मनमोहक है .यहाँ पर अनेक गढ़ ,किले ,ऐतिहासिक भवन ,महल मंदिर एव तीर्थ स्थान है .यहाँ रानी पद्मिनी ,कर्मावती ,पन्ना ,तारा ,महामाया आदि वीर महिलाओ ने तथा भक्तिमती मीरा सहजो बाई आदि ने नारीत्व का गोरव बढाई .शोर्य ,पराक्रम ,वीरता तथा शानदार सांस्कृतिक परम्पराओ के कारण राजस्थान का प्रत्येक भूभाग सुन्दर रंगीला दिखाई देता है .
राजस्थान की सुरंगी संस्कृति – राजस्थान की संस्कृति अपना विशिष्ट पहचान रखती है यहा पर अतिथि सत्कार दिल खोलकर किया जाता है .यहा धार्मिक पर्व त्योहार का आधिक्य है .तीज त्योहार के अलावा होली ,दीपावली ,गणगोर ,शीतलाष्टमी आदि के आलावा यहा अनेक स्थानीय त्योहार भी मनाये जाते है .यहा पर लोकदेवता गोगाजी ,पाबूजी ,रामदेवजी ,देवनारायणजी तेजाजी ,कलाजी के लोकजीवन का घर प्रभाव आमजीवन पर दिखाई देता है ,तो करणी माता ,जिणमाता ,शीलमाता ,आवडमाता अम्बामाता ,चोथमाता आदि देवियों का स्थान भी आमजन सर्वोत्तम है.
तीर्थराज पुष्कर नाथद्वारा, श्री महावीर जी, डिग्गी कल्याणजी, एकलिंग जी, कैलादेवी, खाटूश्याम, मेहंदीपुर बालाजी, अजमेर दरगाह आदि तीर्थस्थल जहाँ इसकी धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं, वहीँ नानारंगी हुडदंग, गैरों, गीदड़ों, डांडियों, रमतों, घुमरों, धमालो, ख्यालों, सांग तमाशों, घूसों बारूद भाटों के खेल बड़े अद्भुत और कड़क नजारे भी यहाँ के जनजीवन में देखने को मिलते हैं. इससे यहाँ की संस्कृति रंगीली लगती हैं.
राजस्थान की निराली छटा- राजस्थान निर्जल डूंगरों, ढाणियों और रेतीले धोरों का प्रदेश हैं. फिर भी यहाँ की धरती खनिज संपदा से समृद्ध हैं. संगमरमर तथा अन्य इमारती पत्थरों की यहाँ अनेक खाने हैं. इसी प्रकार तांबा, शीशा, अभ्रक, जस्ता आदि कीमती धातुओ के साथ चूना सीमेंट का पत्थर बहुतायत से मिलता हैं.
कलापूर्ण भित्तिचित्रों, अलंकृत चौकों, सुरम्य बावड़ियों एवं छतरियों के साथ यहाँ पर मीनाकारी, नक्काशी की वस्तुओं तथा साक्षात बोलती पत्थर की मूर्तियों का साक्षात्कार हर कहीं हो जाता हैं. स्थापत्य कला, मूर्ति कला, रंगाई छपाई एवं कशीदाकारी आदि अनेक कलाओं के साथ यहाँ संगीत नृत्य, लोकगीत आदि की अनोखी छटा दिखाई देती हैं. वस्तुतः ये सभी विशेषताएं राजस्थान के रंगीलेपन की प्रतिमान हैं.
उपसंहार- राजस्थान की धरा शौर्य गाथाओं, धार्मिक पर्वों, लोक आस्थाओं तथा सांस्कृतिक ऐतिहासिक परम्पराओं के कारण सम्रद्ध दिखाई देती हैं. वहीँ यहाँ पट शिल्प कला, स्थापत्य एवं चित्रकला के साथ अन्य विशेषताओं से जन जीवन को जीवतंता एवं रंगीलापन दिखाई देता हैं. वेश भूषा एवं पहनावे में, आचार विचार आस्था विश्वास और आंचलिकता की छाप आदि में राजस्थान रंगीला दिखाई देता हैं.
essay on rajasthan in hindi language
राजस्थान का नामकरण– देश को स्वतंत्रता मिलने पर छोटी छोटी राजपूती रियासतों के एकीकरण से बना राजपूताना राज्य ही हमारा राजस्थान प्रदेश हैं. यह भूभाग प्राचीन काल से ही वीरता एवं शौर्य का क्षेत्र रहा हैं. यहाँ रंग बिरंगी परम्पराओं अनेक रीती रिवाजों और आंचलिक विशेषताओं की अनोखी छटा हैं. इसी कारण इसे जीवंत संस्कृति वाला और विविध परम्पराओं का रंगीला प्रदेश कहा जाता हैं.
राजस्थान का रंगीला रूप– प्राकृतिक दृष्टि से राजस्थान का पश्चिमोत्तर भाग रेतीली धरती के कारण सुनहरा दिखाई देता हैं. तो दक्षिणी पूर्वी भाग हरी भरी छटा वाला हैं. यहाँ पर अनेक ऐतिहासिक दुर्ग, किले, गढ़ महल व मन्दिर एवं तीर्थ स्थल हैं. यहाँ पर एक ओर पन्ना, तारा, पद्मिनी, महामाया आदि वीरांगनाएं हुई हैं. तो दूसरी और मीराबाई कर्माबाई आदि नारियों ने भक्ति भावना की अलख जगाई हैं. शौर्य, पराक्रम, रंग बिरंगी लोक संस्कृति तथा श्रेष्ठ परम्पराओं के कारण राजस्थान प्रदेश का प्रत्येक भू भाग सुंदर रंगीला दिखाई देता हैं.
राजस्थान की सुरंगी संस्कृति–राजस्थान की संस्कृति अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं. यहाँ शत्रु को भी आश्रय देंने तथा अतिथि का दिल खोलकर सम्मान करने की परम्परा हैं. यहाँ पर धार्मिक व्रत त्योहारों की अधिकता हैं. होली, रक्षाबंधन, तीज गणगौर, शीतलाष्टमी आदि के अलावा यहाँ पर कई क्षेत्रीय पर्व मनाये जाते हैं. और अनेक स्थानों पर लोकदेवताओं के मेले भरते हैं.
तीर्थराज पुष्कर, नाथद्वारा, महावीरजी, डिग्गी कल्याणजी, कैलादेवी, खाटूश्यामजी, अजमेर दरगाह आदि तीर्थ क्षेत्र धार्मिक आस्था के परिचायक हैं. यहाँ पर विभिन्न ऋतुओं में गीदड़ों, गैरों, रमतों, घुमरों, ख्यालों, सांग तमाशों आदि के खेल एवं कड़क नजारे देखने को मिलते हैं. इस कारण हर मौसम में राजस्थान प्रदेश के विविध अंचलों को पूरा वातावरण रंगीला बन जाता हैं. इनसे यहाँ की संस्कृति रंगीली लगती हैं.
राजस्थान की नखराली छटा– राजस्थान का धरातल ऊपर से शुष्क है, परन्तु इसके भूगर्भ में ताम्बा, सीसा, अभ्रक, जस्ता आदि धातुओं के साथ चूना सीमेंट एवं इमारती कीमती पत्थर बहुतायत से मिलता हैं. यहाँ पर अनेक सुंदर स्मारक, विजय तोरण, बावड़ियाँ, पोखर एवं छतरियाँ विद्यमान हैं. पूरा संपदाओं एवं भवनों पर कलापूर्ण भित्ति चित्र, नक्काशी की वस्तुएं, मीनाकारी, मूर्तिकला, मिट्टी व लाख के खिलौने आदि अनेक कलापूर्ण चीजें देखने को मिल जाती हैं. शुष्क एवं अभावग्रस्त ग्रामीण जीवन होने पर भी यहाँ लोगों में मस्ती, अल्हड़ता एवं सह्रदयता दिखाई देती हैं. इन सब कारणों से राजस्थान की नखराली छटा सभी को आकर्षित कर लेती हैं.
उपसंहार– राजस्थान प्रदेश अपनी ऐतिहासिक सांस्कृतिक परम्पराओं लोक आस्थाओं, शिल्प मूर्ति, स्थापत्य चित्रकलाओं एवं विविध रंगों की चटकीली वेश भूषाओं आदि से जहाँ अतीव रंगीला दिखाई देता हैं वहां यह जन जीवन की जीवन्तता एवं आंचलि कता की छाप के कारण अत्यंत नखराला लगता हैं. इन सभी दृष्टियों से राजस्थान का विशिष्ट महत्व हैं.
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