
Naram Dal aur Garam Dal(नरम दल और गरम दल) History in Hindi
Naram Dal aur Garam Dal(नरम दल और गरम दल) History in Hindi-Hello Friends, wikimeinpedia.com पर आपका स्वागत है,आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको Naram Dal aur Garam Dal(नरम दल और गरम दल) History in Hindi से अवगत करवाने जा रहे है.आज हम बताएंगे कि “नरम दल और गरम दल क्या है और इनमे क्या अंतर है?”. दोनों ही भारत की स्वतंत्रता से पहले गठित पार्टियां हैं. जिसमे गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक और नरम दल का नेतृत्व मोती लाल नेहरू करते थे. इन दो पार्टियों का गठन दोनों नेताओं के बीच के मतभेद के कारण हुआ. क्यूंकि उससे पहले ये दोनों पार्टियां एक थी. आज हम आपको इसी के विषय में बताने जा रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक.
नरम दल क्या है | What is Naram Dal in Hindi !!
नरम दल का गठन भारत की स्वंत्रता से पहले कांग्रेस पार्टी के दो खेमों में विभाजित होने के कारण हुआ, जिसमे जिस खेमे का नेतृत्व मोती लाल नेहरू कर रहे थे वो खेमा नरम दल कहलाया। जब सरकार को बनाने को लेके कांग्रेस के सदस्यों के मन में मतभेद उत्त्पन्न हुआ, तो पार्टी का विभाजन दो हिस्सों में हो गया.
जिसमे एक का नाम नरम दल पड़ा और दूसरे का नाम गरम दल, जिसे गंगाधर तिलक समर्थन कर रहे थे.
ऐसा मतभेद उत्त्पन्न होने का कारण यह था, कि मोती लाल नेहरू चाहते थे, कि स्वतंत्र भारत की सरकार अंग्रेजों के साथ कोई मिलकर संयोजक सरकार बनाये। जो बात गंगाधर तिलक को नहीं भाई. जिसके कारण दो दल का निर्माण हो गया.
गरम दल क्या है | What is Garam Dal in Hindi !!
जहाँ एक दल का नाम नरम दल पड़ा, तो वहीं दूसरा दल गंगाधर तिलक ने बनाया, जिसे गरम दल नाम दिया गया. गंगाधर तिलक का मानना था कि यदि अंग्रेजों के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे तो ये भारत के साथ फिर धोखा होगा. ये वंदे मातरम का नारा लगाते थे. जो मोतीलाल नेहरू को पसंद नहीं था, क्यूंकि इससे भारतियों के मन में उनके देश के लिए प्रेम जाग सकता है. जबकि मोतीलाल नेहरू बस अंग्रेजों के आगे पीछे घूमने और उनकी चापलूसी करने वालों में से थे.
पहले गंगाधर तिलक और मोतीलाल नेहरू दोनों ही कांग्रेस का हिस्सा थे, लेकिन जब मोतीलाल नेहरू का प्रस्ताव अंग्रेजो के हित में देखा तो गंगाधर तिलक ने इसका विरोध किया और जब दोनों में सुलाह नहीं हुई, तो गंगाधर तिलक ने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया. जिसके बाद उन्होंने अपना दल बनाया जिसका नाम गरम दल पड़ा.
Naram Dal aur Garam Dal History in Hindi
नरम दल और गरम दल का इतिहास-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी| इसके गठन के कुछ वर्षों पश्चात इस पार्टी के सदस्यों में वैचारिक मतभेद उत्पन्न होना प्रारंभ हो गए और दो नए दलों का उदय हुआ- इनमें से पहला दल था नरम दल और दूसरा दल था गरम दल|
गरम दल के खेमे में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक थे और नरम दल के खेमे में थे मोतीलाल नेहरू| कांग्रेस में वैचारिक मतभेद सरकार बनाने को लेकर उत्पन्न हुआ था क्योंकि मोतीलाल नेहरू का मानना था कि स्वतंत्र भारत की सरकार अंग्रेजों के साथ मिलकर बने, जबकि दूसरी तरफ बाल गंगाधर तिलक का कहना था कि अगर हम अंग्रेजों के साथ मिलकर सरकार बनाते हैं तो यह तो भारतवासियों को धोखा देना होगा| इन्हीं मतभेदों के चलते कांग्रेस दो दलों में विभाजित हुआ था|
गरम दल के प्रमुख नेता (क्रांतिकारी)-
गरम दल के प्रमुख नेताओं में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल, एवं अरविंद घोष थे| गरम दल के नेताओं को हम क्रांतिकारी के रूप में भी देख सकते हैं क्योंकि वह हर जगह वंदे मातरम को गाया करते थे| जबकि इसके विपरीत नरम दल के नेता अक्सर अंग्रेजों की वकालत करते थे और वह अंग्रेजों के साथ सामंजस्य बनाकर चलना पसंद करते थे| नरम दल के नेताओं का मानना था कि हमें अंग्रेजों को समझना चाहिए, उनके साथ बैठक करनी चाहिए और उनके साथ समझौते करने चाहिए|
नरम दल के प्रमुख नेता-
नरम दल के प्रमुख नेताओं में गोपाल कृष्ण गोखले, दादाभाई नौरोजी, दिनशा वाचा, फिरोजशाह मेहता, सुरेंद्रनाथ बनर्जी, व्योमेश चंद्र बनर्जी, मोतीलाल नेहरू आदि थे|
Difference between Naram dal and Garam dal in Hindi | नरम दल और गरम दल में क्या अंतर है !!
# दोनों ही कांग्रेस के विभाजन से बने दल थे, जिसमे एक का नाम नरम दल और दूसरे का नाम गरम दल था.
# नरम दल का नेतृत्व मोती लाल नेहरू करते थे और गरम दल का नेतृत्व लोकमान्य तिलक करते थे.
# गरम दल के नेता लोकमान्य तिलक एक क्रन्तिकारी की तरह थे, जो हर जगह वन्दे मातरम गाया करते थे वहीं दूसरी ओर नरम दल के नेता मोती लाल नेहरू थे, जो अंग्रेजों का समर्थन करते थे.
# नरम दल के लोग अंग्रेजों के साथ रहना, उनको सुनना, उनकी बैठकों में शामिल होना, हर समय अंग्रेज़ों से समझौते में रहते थे जबकि गरम दल के लोग अंग्रेजों को पसंद भी नहीं करते थे.
# वन्दे मातरम अंग्रेजों को बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए गरम दल वाले वन्दे मातरम गाते थे जबकि नरम दल वाले गरम दल को चिढ़ाने के लिए 1911 में लिखा गया गीत “जन गण मन” गाया करते थे
# नरम दल वाले अंग्रेजों के चमचे थे, इसलिए उन्होंने मुस्लिम के मन में ये बात डाल दी कि उन्हें वन्दे मातरम नहीं गाना चाहिए क्यों कि इसमें बुतपरस्ती (मूर्ति पूजा) है। जिस कारण मुस्लिम ने वंदे मातरम गाना छोड़ दिया था. उस दौरान मुस्लिम लीग भी बन गई थी जिसके प्रमुख मोहम्मद अली जिन्ना थे.
Naram Dal aur Garam Dal History Questions in Hindi
Q- अधिकतर नरमपंथी नेताओं का संबंध किस क्षेत्र से था?
Ans- अधिकतर नरमपंथी नेताओं का संबंध शहरी क्षेत्रों से था|
Q- किस नेता को “भारतीय अशांति का जनक” कहा गया था?
Ans- गरम दल के प्रमुख नेता बाल गंगाधर तिलक को वैलेंटाइन शिरोल ने भारतीय अशांति का जनक कहा था| उन्हें 1908 में 6 वर्ष के कारावास की सजा भी सुनाई गई थी|
Note- लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने कांग्रेस पर प्रार्थना, याचना तथा विरोध की राजनीति करने का आरोप लगाया था| उनके इन्हीं आरोपों के कारण आगे चलकर कांग्रेस की प्रार्थना और याचना की नीति समाप्त हो गई थी|
Note- बाल गंगाधर तिलक का कहना था कि- “ हमारा उद्देश्य आत्मनिर्भरता है, भिक्षावृत्ति नहीं”| उन्होंने कांग्रेस को ” भीख मांगने वाली संस्था” अर्थात बेगिंग इंस्टीट्यूट कहा था|
Note- गरम दल के प्रमुख नेता बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के बाद उनकी अर्थी को महात्मा गांधी के साथ मौलाना शौकत अली एवं डॉक्टर सैफुद्दीन किचलू ने उठाया था| उनकी मृत्यु के पश्चात मौलाना हसरत मोहानी ने शोकगीत पढ़ा था|
Q- नरम दल और गरम दल के नेताओं के आंदोलन की पद्धति क्या थी?
Ans- नरम दल के नेताओं के आंदोलन की पद्धति राजावामबंध्य आंदोलन (Constitutional Agitation) की थी, जिसका अर्थ होता है कि भारतीयों की भागीदारी की मांग एवं जनता में राजनीतिक जागरूकता उत्पन्न करना| इसके विपरीत गरम दल के नेताओं के आंदोलन की पद्धति अनुकूल प्रविघटन (Passive Resistance) की थी|
Q- भारत के इतिहास में कौन शेर-ए-पंजाब के नाम से जाना जाता है?
Ans- लाला लाजपत राय को पंजाब केसरी और शेर-ए-पंजाब के नामों से जाना जाता है|
Q- लाला लाजपत राय ने किसे अपना राजनीतिक गुरु माना था?
Ans- मैजिनी को लाला लाजपत राय ने अपना राजनीतिक गुरु माना था| मैजिनी इटली के प्रमुख क्रांतिकारी नेता थे, उनकी रचना “द ड्यूटी ऑफ मैन” का अनुवाद लाला लाजपत राय ने उर्दू में किया था|
Q- किस नेता को महाराष्ट्र में होने वाले गणपति पर्व की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है?
Ans- लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक|
गरम दल और नरम दल का विलय-
कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन अम्बिकाचरण मजूमदार की अध्यक्षता में 1916 ई. में लखनऊ में सम्पन्न हुआ। इस अधिवेशन में ही गरम दल तथा नरम दल का विलय हुआ। लखनऊ अधिवेशन में ‘स्वराज्य प्राप्ति’ का भी प्रस्ताव पारित किया गया। कांग्रेस ने ‘मुस्लिम लीग’ द्वारा की जा रही साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व की मांग को भी स्वीकार कर लिया।
उम्मीद है दोस्तों आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी काफी पसंद आयी होगी. और यदि कोई त्रुटि आपको हमारे ब्लॉग में दिखाई दे या कोई मन में सुझाव या सवाल हो तो आप हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के बता सकते हैं. हम पूरी कोशिश करेंगे आप की उम्मीदों पे खरा उतरने की. धन्यवाद !!
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