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ग्रहों के नाम-Planets Name In Hindi & English |Graho Ke Naam|

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ग्रहों के नाम-Planets Name In Hindi & English |Graho Ke Naam|

ग्रहों के नाम-Planets Name In Hindi & English |Graho Ke Naam|– Hello Students wikimeinpedia पर आपका एक बार फिर से स्वागत है मुझे आशा है आप सभी अच्छे होंगे.अक्सर प्रतियोगी परीक्षा में ग्रहों के नाम पूछे जाते है तो आइये जानते है ग्रहों के नाम हिन्‍दी और अंग्रेजी में – Name of planets in Hindi and English 

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ग्रहों के नाम हिन्‍दी और अंग्रेजी में – Name of planets in Hindi and English 

क्र.सं. नाम  उच्‍चरण  हिन्‍दी अर्थ 
1 Mars मार्स मंगल
2 Mercury मर्करी बुध
3 Neptune नेप्‍च्‍यून वरूण
4 Saturn सैटर्न शनि
5 Earth अर्थ पृथ्‍वी
6 Jupiter जुपीटर बृहस्‍पति
7 Uranus युरेनस अरूण
8 Venus वीनस शुक्र

To Know More Details About Solar System Saur Mandal

1. Mercury [मर्क्यरी] – बुध (Budha)


2. Venus [वीनस] – शुक्र (Sukra)

 

3. Earth [अःथ] – पृथ्वी (Prithvi)


4. Mars [मॉर्ज़] – मंगल (Mangal)


5. Jupiter [जूपिटर] – बृहस्पति (Brahspati)


6. Saturn [सेटर्न] – शनि (Shani)

 


7. Uranus [यूरनस] – अरुण (Arun)


8. Neptune [नेप्ट्यून] – वरूण (Varun)


9. Pluto [प्लूटो] – यम (Yam)
This Planet Also Called बौना ग्रह



1. बुध ग्रह : बुध ग्रह सौर मंडल का सूर्य के सबसे निकट स्थित और आकार में सबसे छोटा ग्रह है। यम को पहले सबसे छोटा ग्रह माना जाता था लेकिन अब इसका वर्गीकरण बौना ग्रह के रूप में किया जाता है। यह सूर्य की एक परिक्रमा करने में 88 दिन लगाता है। यह लोहे और जस्ते का बना हुआ है।

यह अपने परिक्रमा पथ पर 29 मील प्रति क्षण की गति से चक्कर लगाता है। बुध सूर्य के सबसे पास का ग्रह है और द्रव्यमान से 8 वें क्रमांक पर है। – बुध ग्रह

2. शुक्र ग्रह : शुक्र सूर्य से दूसरा ग्रह है और छठवां सबसे बड़ा ग्रह है। शुक्र पर कोई भी चुंबकीय क्षेत्र नहीं है और इसका कोई उपग्रह नहीं है। शुक्र ग्रह को आँखों से देखा जा सकता है। इसका परिक्रमा पथ 108,200,000 किलोमीटर लंबा है। इसका व्यास 12, 103.6 किलोमीटर है। शुक्र सौर मंडल का सबसे गरम ग्रह है। शुक्र का आकार और बनावट लगभग पृथ्वी के बराबर है इसलिए शुक्र को पृथ्वी की बहन कहा जाता है।

शुक्र का ग्रहपथ 0.72 AU या 108,200,000 किलोमीटर है। शुक्र की ग्रहपथ लगभग पूर्ण वृत्त है। शुक्र का व्यास 12,103.6 किलोमीटर है और द्रव्यमान 4.869e24 किलोग्राम है। शुक्र आकाश में सबसे चमकीला पिंड है। – शुक्र ग्रह

3. पृथ्वी ग्रह : पृथ्वी बुध और शुक्र के बाद सूर्य से तीसरा ग्रह है। आंतरिक ग्रहों में से सबसे बड़ा ग्रह है। इस ग्रह को अंग्रेजी में अर्थ भी कहा जाता है। पूरी कायनात में धरती एकलौता ग्रह है जहाँ पर जीवन है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी को खगोलीय इकाई कहते हैं। ये लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। ये दूरी वासयोग्य क्षेत्र में है। किसी भी सितारे के गिर्द यह एक खास जोन होता है जिसमें जमीन की सतह के ऊपर का पानी तरल अवस्था में रहता है।

इसका भूमध्यरेखीय व्यास 12,756 किलोमीटर और ध्रुवीय व्यास 12, 714 किलोमीटर है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 1०/2 झुकी हुई है। ग्रहों के आकार एवं द्रव्यमान में यह पांचवें स्थान पर है। पृथ्वी पर 71% भाग में जल है तथा 29% भाग स्थलीय है। – पृथ्वी ग्रह

4. मंगल ग्रह : मंगल सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है। प्रथ्वी से देखने पर इसकी आभा रिक्तिम दिखती है जिस कारण से इसे लाल ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। मंगल ग्रह को युद्ध भगवान भी कहा जाता है। मंगल ग्रह को यह नाम अपने लाल रंग की वजह से मिला है। पृथ्वी से देखने पर इसको इसकी रक्तिम आभा की वजह से लाल ग्रह के रूप में भी जाना जाता है। मंगल ग्रह का यह लाल रंग आयरन आक्साइड की अधिकता की वजह से है।

मंगल ग्रह को प्रागैतिहासिक काल से जाना जाता है। सौरमंडल के ग्रह दो प्रकार के होते हैं – स्थलीय ग्रह जिनमें जमीन होती है और गैसीय ग्रह जिनमें ज्यादातर गैस ही गैस होती है। पृथ्वी की तरह मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला गृह है। इसका वातावरण विरल होता है। – मंगल ग्रह

5. बृहस्पति ग्रह : बृहस्पति सूर्य पांचवां और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। बृहस्पति एक गैस दानव है जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, युरेनस और नेप्चून के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है और इसका रंग पिला है। यह ग्रह प्राचीनकाल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है तथा यह कई संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था। – बृहस्पति ग्रह

6. शनि ग्रह : शनि सौरमंडल का एक सदस्य ग्रह है। इस ग्रह को अंग्रेजी में सैटर्न कहते हैं। यह आकाश में एक पीले तारे के समान दिखाई देता है। यह सूरज से छठे स्थान पर है और सौरमंडल में बृहस्पति के बाद सबसे बड़ा ग्रह है। इसके कक्षीय परिभ्रमण का पथ 14,29,40,000 किलोमीटर है। शनि ग्रह का गुरुत्व पानी से भी कम है और इसके लगभग 62 उपग्रह हैं।

जिसमें टाइटन सबसे बड़ा उपग्रह है। टाइटन बृहस्पति के उपग्रह गिनिमेड के बाद दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है। शनि ग्रह की खोज प्राचीनकाल में ही हो गई थी। गैलिलियो गैलिली ने सन् 1610 में दूरबीन की मदद से इस ग्रह को खोजा था। शनी ग्रह की रचना 75% हाइड्रोजन और 25% हीलियम से हुई है। – शनि ग्रह

7. अरुण ग्रह : अरुण या युरेनस हमारे सौर मंडल में सूर्य से सातवाँ ग्रह है। व्यास के आधार पर यह सौर मंडल का तीसरा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर चौथा बड़ा ग्रह है। द्रव्यमान में यह पृथ्वी से 14.5 गुना अधिक भारी और आकार में पृथ्वी से 63 गुना अधिक बड़ा है। औसत रूप से देखा जाए तो पृथ्वी से बहुत कम घना है क्योंकि पृथ्वी पर पत्थर और अन्य भारी पदार्थ ज्यादा प्रतिशत में हैं जबकि अरुण पर गैस अधिक है।

इसलिए पृथ्वी से 63 गुना बड़ा आकार रखने के बाद भी यह पृथ्वी से केवल साढ़े चौदह गुना भारी है। अरुण को बिना दूरबीन के आँखों से भी देखा जा सकता है यह इतना दूर है और इतनी माध्यम रोशनी का प्रतीत होता है कि प्राचीन विद्वानों ने कभी भी इसे ग्रह का दर्जा नहीं दिया और इसे एक दूर टिमटिमाता तारा ही समझा। – अरुण ग्रह

8. वरुण ग्रह : वरुण, नॅप्टयून या नॅप्चयून हमारे सौर मंडल में सूर्य से आठवां ग्रह है। वरुण सूर्य से बहुत दूर स्थित ग्रह है। वरुण ग्रह की खोज सन् 1846 ई. में जर्मन खगोलज्ञ जॉन गले और अर्बर ले वेरिअर ने की है। व्यास के आधार पर यह सौर मंडल का चौथा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर तीसरा बड़ा ग्रह है।

वरुण का द्रव्यमान पृथ्वी से 17 गुना ज्यादा है और अपने पड़ोसी ग्रह अरुण से थोडा ज्यादा है। खगोलीय इकाई के हिसाब से वरुण की ग्रहपथ सूरज से 30.1 ख०ई० की औसत दुरी पर है अथार्त वरुण पृथ्वी के मुकाबले में सूरज से लगभग 30 गुना ज्यादा दूर है। वरुण को सूरज की एक पूरी प्रक्रिया करने में 164.79 साल लगते हैं अथार्त एक वरुण वर्ष 164.79 पृथ्वी वर्षों के बराबर है। वरुण को नीला दैत्य भी कहा जाता है। – वरुण ग्रह

9. प्लूटो ग्रह : प्लूटो यह दूसरा सबसे भारी बौना ग्रह है। सामान्यत: यह नेपच्युन की कक्षा से बाहर रहता है। प्लूटो सौर मंडल के सात चंद्रमाओं से छोटा है। प्लूटो की कक्षा सूर्य की औसत दुरी से 5,913,520,000 किलोमीटर है। प्लूटो का व्यास 2274 किलोमीटर है और इसका द्रव्यमान 1.27e22 है। रोमन मिथकों के अनुसार प्लूटो पाताल का देवता है।

प्लूटो को यह नाम इस ग्रह के अँधेरे के कारण और इसके अविष्कार पर्सीवल लावेल के आद्याक्षारो के कारण मिला है। प्लूटो को सन् 1930 में संयोग से खोजा गया था। युरेनस और नेपच्युन की गति के आधार पर की गई गणना में गलती की वजह से नेपच्युन के परे एक और ग्रह के होने की भविष्यवाणी की गई थी। – प्लूटो ग्रह

 

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